NTA on NEET Paper Leak: NEET पेपर लीक मामले में हो रहे प्रदर्शन से मोदी सरकार से हिली हुई है. शुरू में सरकार ने इस मामले में किसी तरह की धांधली या गड़बड़ी से इनकार किया. लेकिन जब धीरे- धीरे परतें खुलनी शुरू हुई तो सरकार को यह बात माननी पड़ी. हालांकि प्रदर्नशकारी छात्रों की मांग के बावजूद सरकार ने इस परीक्षा को रद्द करने से इनकार कर दिया है. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. कोर्ट ने गड़बड़ी के दायरे में आए 1563 छात्रों की परीक्षा दोबारा करवाने का आदेश दिया है. लेकिन क्या आप 2004 और 2015 का वो किस्सा जानते हैं, जब इसी तरह के आरोपों पर सरकार ने मेडिकल एंट्रेंस परीक्षा रद्द करने में देर नहीं लगाई थी. 

2004 में AIPMT के पेपर हुए थे लीक

रिपोर्ट के मुताबिक बात 2004 की है. जब देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए ऑल इंडिया प्री- मेडिकल टेस्ट (AIPMT) का आयोजन होता था. सरकार ने तब यह प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षा करवाने की जिम्मेदारी सीबीएसई को दे रखी थी. CBSE ने उस साल यह परीक्षा करवाई लेकिन टेस्ट के कुछ समय बाद ही इसके लीक होने की खबर बाहर आने लगी और देश के कई इलाकों में प्रोटेस्ट शुरू हो गए. शुरुआती जांच में पता चला कि 13 स्टूडेंट्स ने जुगाड़ करके AIPMT के प्रश्न पत्र खरीदे थे. इसके बाद CBSE ने परीक्षा रद्द करके एक हफ्ते के अंदर दोबारा रि-टेस्ट करवा लिया था.

वर्ष 2015 में भी ऐसा ही मामला आया

इसके बाद वर्ष 2015 में भी ऐसा ही मामला दोबारा सामने आया और AIPMT परीक्षा में पेपर लीक होने के आरोप लगे. छात्रों ने जगह- जगह सड़कों पर उतरकर पेपर को रद्द करने और दोबारा परीक्षा करवाने की मांग की लेकिन सीबीएसई ने इनकार कर दिया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो अदालत ने परीक्षा करवाने वाली एजेंसी सीबीएसई से इस पर राय पूछी. सीबीएसई ने दलील दी कि इस लीक मामले में 44 छात्रों की संलिप्तता की बात सामने आई है. ऐसे में उनके लिए 6 लाख बच्चों को दोबारा एग्जाम देने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है.

कोर्ट के आदेश पर दोनों बार हुए रि-टेस्ट

हालांकि सुप्रीम कोर्ट उसकी इस दलील से सहमत नहीं हुआ. अदालत ने कहा कि अगर परीक्षा में एक भी अभ्यर्थी को गलत तरीके से फायदा मिलता है तो इससे पूरी परीक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल उठ जाते हैं. यह परीक्षा देने वाले बाकी स्टूडेंट्स के साथ बड़ा अन्याय है. इसके बाद एजेंसी ने परीक्षा रद्द कर दोबारा एग्जाम करवाए थे. 

सुप्रीम कोर्ट के हाथ में छात्रों का भविष्य

इस बार भी लगभग ऐसे ही हालात हैं. AIPMT का नाम बदलकर अब नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानी NEET हो चुका है. इसके आयोजन का जिम्मा भी अब सीबीएसई से छीनकर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को दिया जा चुका है. इस बार की परीक्षा में करीब 1573 स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स देने के आरोप हैं. इन ग्रेस मार्क्स की वजह से उनमें से कई स्टूडेंट्स ऑल इंडिया मेरिट में काफी आगे निकल गए, जिसके बाद बवाल मचना शुरू हुआ और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है. केंद्र सरकार की एजेंसी एनटीए कुछ छात्रों की वजह से पूरी परीक्षा रद्द करने के खिलाफ है. अब इस मामले में आगे क्या होगा, यह सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले पर निर्भर करता है. 



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By attkley

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