MP High Court News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने तलाक के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि शादी के बाद पत्नी का अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता के समान है. अदालत ने हिंदू विवाह अधिनियन 1955 के तहत महिला के इस कृत्य को क्रूरता करार दिया है. हाई कोर्ट ने सतना पारिवारिक अदालत द्वारा इस आधार पर तलाक की मंजूरी देने के फैसले को भी बरकरार रखा है.
सीधी निवासी महिला ने पारिवारिक न्यायालय सतना द्वारा जारी किए गए तलाक के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी. मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अमर नाथ (केशरवानी) की खंडपीठ ने सतना पारिवारिक अदालत द्वारा सुनाए गए तलाक के फैसले को सही बताते हुए पत्नी की ओर से दायर याचिका को निरस्त कर दी.
पहली रात ही पत्नी ने शारीरिक संबंध बनाने से किया इनकार
दरअसल, दम्पति ने 26 मई 2013 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की थी. हालांकि, पहली ही रात पत्नी ने यह कहते हुए अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया कि वह उसे पसंद नहीं करती और उसने अपने माता-पिता के दबाव में शादी की है. इसके बाद पत्नी अपनी एम.कॉम फाइनल परीक्षा में शामिल होने के लिए 29 मई 2013 को अपने मायके चली गई. 31 मई 2013 को जब पति और उसके परिवार के सदस्य उसे वापस लाने गए तो उसके माता-पिता ने उसकी चल रही परीक्षाओं का हवाला देते हुए उसे भेजने से इनकार कर दिया.
जिसके बाद पति ने पत्नी द्वारा क्रूरता और परित्याग के आधार पर हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(i-a) और (i-b) के तहत तलाक की याचिका दायर की. सतना में पारिवारिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने पति के आवेदन को स्वीकार कर लिया और 17 अगस्त, 2021 को तलाक की डिक्री दे दी.
महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दे
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के समक्ष पहला कानूनी मुद्दा यह था कि क्या पत्नी का अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना और उसके बाद उसे छोड़ देना क्रूरता है? साथ ही क्या यह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का आधार है?
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की ओर से पेश किए गए साक्ष्यों की जांच करने के बाद कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कींः-
अदालत ने इस बात को नोट किया कि महिला ने 31 मई, 2013 को अपने पति और ससुराल वालों के साथ जाने से इनकार कर दिया था.
अदालत ने यह भी पाया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीधी के समक्ष पत्नी के दर्ज बयान से यह पुष्टि होती है कि ससुराल में रहने के दौरान दंपति के बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं बना था.
सुप्रीम कोर्ट के नवीन कोहली बनाम नीलू कोहली (2006) के फैसले का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि एक बार जब दोनों पक्ष अलग हो गए और यह अलगाव लंबे समय तक जारी रहा तो यह माना जा सकता है कि शादी टूट गई है.
अदालत ने आगे कहा कि अपीलकर्ता यानी पत्नी द्वारा प्रतिवादी यानी पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना उसके साथ क्रूरता के समान है.
अदालत में पत्नी की स्वीकारोक्ति और लंबे समय से अलग-अलग रहने (11 वर्ष से अधिक) का हवाला देते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया कि फैमिली कोर्ट के फैसले और डिक्री में कोई अनौचित्य नहीं पाया गया जिसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता है. इसी के साथ अदालत ने पत्नी की अपील खारिज कर दी और फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.