बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ आकाश आनंद।
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मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद पर एक बार फिर से भरोसा जताते हुए उनको न सिर्फ उत्तराधिकारी घोषित किया, बल्कि आकाश आनंद को दोबारा पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक भी बना दिया। लोकसभा चुनाव के बीच आकाश आनंद की आक्रामकता को देखते हुए मायावती ने अपने भतीजे को अपरिपक्व बताया था। इसके साथ उनसे सभी जिम्मेदारियां वापस ले ली गई थीं। अब एक बार फिर आकाश आनंद को दोबारा जिम्मेदारियां बसपा सुप्रीमो मायावती ने दी हैं। मायावती के फैसले के बाद सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की हो रही हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से बसपा सुप्रीमो को अपने फैसले को वापस लेना पड़ा है। इसके साथ ही अब देखना यह भी होगा की क्या आकाश आनंद के तेवर लोकसभा चुनाव के दौरान जैसे ही होंगे या उनमें कोई बदलाव दिखेगा।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद समीक्षा बैठक की। इस बैठक में मायावती ने चुनाव के परिणाम और खिसके वोट बैंक को लेकर मंथन किया। लेकिन महत्वपूर्ण फैसला मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को लेकर इस बैठक में लिया। आकाश आनंद को एक बार फिर से पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया और उत्तराधिकारी घोषित किया गया। राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु मिश्रा बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरीके से आकाश आनंद ने बसपा के वोटरों से संवाद करना शुरू किया था, वह बहुत आक्रामक था। वह कहते हैं क्योंकि बसपा की रैलियों में आकाश आनंद की तरह बोलने की पद्धति नहीं रही है। इसलिए बसपा सुप्रीमो को आकाश आनंद का यह तेवर पसंद नहीं आया और उन्हें भरे चुनाव के बीच में अपरिपक्व बताते हुए सभी पदों से हटा दिया था।
हिमांशु कहते हैं कि अब जब मायावती ने एक बार फिर आकाश आनंद पर भरोसा जताया है, तो यह चर्चाएं होनी लाजिमी हैं कि क्या आकाश आनंद सियासी तौर पर “परिपक्व” हो चुके हैं। खासतौर से वह परिपक्वता जो मायावती देखना चाहती हैं। वह कहते हैं कि इसके मायने सीधे तौर पर यही निकलते हैं कि मायावती को लोकसभा चुनाव में आए परिणाम की वजह से आकाश आनंद को सभी जिम्मेदारियां वापस देने पर मजबूर होना पड़ रहा है। क्योंकि पार्टी के एक धड़े में यह बात बहुत ज्यादा स्वीकार की जा रही थी कि आकाश आनंद के तेवर से पार्टी के भीतर एक नई ऊर्जा और चुनाव की दशा दिशा बदलने का दमखम दिख रहा था। लेकिन सीतापुर की एक रैली के बाद आकाश आनंद पर हुई एफआईआर समेत उनकी आक्रामकता को देखते हुए मायावती ने सभी पदों से हटाने का फैसला लिया था। बहुजन समाज पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद पार्टी के भीतर ही यह चर्चा शुरू हुई कि अगर आकाश आनंद को न हटाया गया होता तो संभवतया परिणाम कुछ और होता।