Terror of leopards: अगर आपसे हम कहें कि तेंदुओं ने अब शहरों में आतंक मचाना शुरू कर दिया है तो आप यकीन ही नहीं करेंगे, आप सोच रहे होंगे कि शहर में तेंदुए का क्या काम है. लेकिन यह सच है कि तेंदुओं ने भारत में अब जंगलों को छोड़ दिया है, वह गांव और शहरों की तरफ निकल चुके हैं, ताजा मामला हरियाणा के गुरुग्राम का ले लीजिए. इन दिनों गुरुग्राम में तेंदुओं की खूब दहशत फैली हुई है और लोग डर के साए में जीने को मजबूर है. गुरुग्राम के टिकली गांव में दो तेंदुए सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गए हैं जिसे देखकर लोगों की जीना हराम हो गया है.
सीसीटीवी में कैद हुआ तेंदुआ
गुरुग्राम के टिकली गांव की गौशाला में लगे सीसीटीवी में दिखा कि एक तेंदुआ दीवार फांद कर अंदर आ गया. स्थानीय लोगों के मुताबिक तेंदुओं ने पिछले एक महीने में गौशाला की 10 गायों को अपना शिकार बना डाला है.
तेंदुओं को पकड़ने की कोशिशें जारी
गुरुग्राम के टिकली गांव में तेंदुओं को देखे जाने की ख़बर वाइल्ड लाइफ विभाग को भी दी गई जिसके बाद अधिकारियों ने गांव का दौरा भी किया है और तेंदुओं को पकड़ने की कोशिशें लगातार जारी है. वहीं स्थानीय ग्रामीण तेंदुओं को पकड़ने के लिए की जा रही वन विभाग की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है. उन्होंने बताया कि वन विभाग ने तेंदुओं को पकड़ने के लिए उन्हें एक जाल भी मुहैया कराया है.
अरावली पहाड़ी से गांव की तरफ
तेंदुए अकसर अरावली की पहाड़ों से शिकार के लिए टिकली गांव तक पहुंच जाते हैं और गायों को अपना शिकार बनाते हैं.
जंगल क्यों छोड़ रहे तेंदुए
जंगल जिस तेजी से खत्म हो रहे हैं उसी तेजी के साथ जंगली जानवरों का शहरों की तरफ रुख बढ़ रहा है. भोजन और रहने की समस्या ने जंगली जानवरों के सामने मजबूरी पैदा कर दी है, शिकारियों के खौफ से जानवर अब शहरों की तरफ भाग रहे हैं.
पूरे भारत में तेंदुए का खौफ
पूरे भारत में कई आवासीय कॉलोनियों में तेंदुए देखे जाने से लोगों में दहशत पैदा हो गई है. पिछले कुछ महीनों में नोएडा, गुरुग्राम, जयपुर और बेंगलुरु जैसे शहरों और झारखंड, असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के रिहायशी इलाकों में तेंदुए जैसे जानवरों के देखे जाने की घटनाएं घटनाएं सामने आई हैं. हाल ही में ग्रेटर नोएडा वेस्ट के अजनारा ले गार्डन सोसाइटी में एक तेंदुआ देखा गया जिससे निवासियों में दहशत फैल गई.
आइए देखें भारत में कितने हैं तेंदुए
भारत में तेंदुओं की संख्या बढ़ी है, लेकिन ये तेंदुए जंगल की बजाय बाहर ज्यादा रहते हैं
स्रोत: स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट इन फिगर्स 2024, डाउन टू अर्थ एवं सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा प्रकाशित pic.twitter.com/fTS0MikPcN— Down To Earth Hindi (@hindidown2earth) June 27, 2024
देश में तेंदुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2022 की गणना रिपोर्ट में देश में इनकी संख्या बढ़कर औसतन 13874 हो गई है, जिसमें सबसे अधिक वह तेंदुए हैं जो बेघर हैं यानी जिनका कोई ठिकाना नहीं है.
2022 की गणना के मुताबिक देखें किस राज्य में कितने तेंदुए
मध्य प्रदेश 3907
महाराष्ट्र 1985
कर्नाटक 1879
तमिलनाडु 1070
छत्तीसगढ़ 722
राजस्थान 721
उत्तराखंड 652
उत्तर प्रदेश 371
तेलंगाना 297
बिहार 86
झारखंड 51
जंगल छोड़ गांव और शहर क्यों आ रहे तेंदुए, विशेषज्ञ की राय
वन्य जीव विशेषज्ञ के मुताबिक एक तेंदुए का आहार एक दिन में सात से आठ किलो मांस है. जंगल में हिरन और नीलगाय ही उसके मुख्य आहार हैं. जब उन्हें इतना मांस खाने को नहीं मिलता तो वह गांव की ओर कुत्ते व बकरी के शिकार में पहुंच जाते हैं. वन विभाग की ओर से भी उनके आहार के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. गौरतलब है कि तेंदुआ वन संरक्षित जीव है. इसे मारने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाता है. जेल जाने से लेकर सजा तक का प्रावधान है.
रिसर्च की माने तो..
2011 में भारत के पर्यावरण और वन मंत्रालय ने मानव-तेंदुए संघर्ष के प्रबंधन को लेकर दिशानिर्देश शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में कहा गया कि तेंदुए आमतौर पर मनुष्यों पर बिना वजह हमला नहीं करते. वो अधिकतर आत्मरक्षा में मनुष्यों पर हमला करते हैं. “आदमखोर तेंदुए जानबूझ कर मारने के इरादे से हमला करते हैं और लोगों की मौत की वजह बनते हैं.” रिपोर्ट में कहा गया है कि तेंदुए आमतौर पर मनुष्यों से दूर भागते हैं. मगर समय के साथ तेंदुओं के मनुष्यों के रिहाइश वाले इलाकों में आने और उन पर हमला करने की वारदात बढ़ रही है. ऐसे में “मनुष्यों द्वारा बदले की कार्रवाई में तेंदुओं को भी मारने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है.”
तेंदुए से कैसे बचें
• जहां तेंदुए (या कोई दूसरा जंगली मांसाहारी प्राणी) मौजूद हैं वहां बच्चे अंधेरे में देर तक अकेले में नहीं रहें.
• कुत्तों, बकरियों और छोटे पशुओं को रात में खुले में न छोड़ा जाए.
• वन विभाग को सूचना तत्काल दें
• अगर शहर और गांव के निवासी ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां पर तेंदुए मौजूद हैं तो वहां पर प्रभावी ढंग से वेस्ट डिस्पोजल का इंतजाम रखना चाहिए.