कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण का वीडियो शेयर कर संसद टीवी पर निशाना साधा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने लिखा कि राष्ट्रपति ने संसद के संयुक्त सत्र को 51 मिनट तक संबोधित किया. Sansad TV ने किसको कितनी बार दिखाया? इसके बाद उन्होंने जो वीडियो शेयर किया है उसमें दिखाई देता है कि राहुल गांधी को कुल 6 बार दिखाया गया. कांग्रेस का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 73 बार कैमरा गया.
इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि सरकार (सत्ता पक्ष) को 108 बार दिखाया गया जबकि विपक्ष को केवल 18 बार. उन्होंने आगे कहा, ‘Sansad TV सदन की कार्यवाही दिखाने के लिए है, कैमराजीवी की आत्ममुग्धता के लिए नहीं.’
कांग्रेस ने फास्ट फॉरवर्ड में वीडियो शेयर किया है. इसमें दिखाई देता है कि राहुल गांधी पर जब भी कैमरा गया, वह शांत बैठे भाषण सुनते दिखे. उनके ठीक पीछे अखिलेश यादव भी दिखाई देते हैं. दूसरी प्रधानमंत्री पर जब कैमरा फोकस किया गया वह कभी ध्यान से स्पीच सुनते तो कभी मेज थपथपाते दिखाई दिए.
राष्ट्रपति की स्पीच: 51 मिनट
Sansad TV ने किसको कितनी बार दिखाया?
नेता सदन, नरेंद्र मोदी: 73 बार
नेता प्रतिपक्ष, राहुल गांधी: 6 बार pic.twitter.com/7r9fKyY3KS— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 27, 2024
कांग्रेस के इस दावे पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई. कई लोग कांग्रेस के समर्थन में तो कुछ भाजपा के सपोर्ट में आ गए.
उधर, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सदन के अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उनके द्वारा सदन के भीतर आपातकाल का उल्लेख किए जाने को लेकर यह कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई कि यह कदम राजनीतिक था और इससे बचा जा सकता था.
शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति वही पढ़ती हैं, जो कि उन्हें पढ़ने के लिए दिया जाता है. प्रियंका ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने अभिभाषण में कहा कि हमें बहुमत वाली सरकार मिली है, लेकिन शायद वह भूल रही हैं कि भारतीय जनता पार्टी को इस बार बहुमत नहीं मिला है.’ उन्होंने ओम बिरला द्वारा लोकसभा सत्र के पहले ही दिन इमरजेंसी का जिक्र करने पर निशाना साधा. उन्होंने ओम बिरला का नाम लिए बगैर कहा कि उन्हें यह समझना होगा कि वो महज किसी एक पक्ष के ही स्पीकर नहीं, बल्कि दोनों पक्षों के हैं, लेकिन वो लगातार जहां एक पक्ष को दबाने की कोशिश करते हैं, तो दूसरी तरफ एक को उठाते हैं, वह उचित नहीं है.