नीरज पांडे इंटरव्यू
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
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बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन और तब्बू की आगामी फिल्म ‘औरोंं में कहां दम था’ का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है। इस फिल्म को नीरज पांडे ने निर्देशित किया है। नीरज पांडे को ‘एम.एस. धोनी द अनटोल्ड स्टोरी’,’ बेबी’, ‘स्पेशल 26’ और ‘नाम शबाना’ जैसी शानदार फिल्मों के लिए जाना जाता है। इन दिनों वह अपनी निर्देशित फिल्म ‘औरोंं में कहां दम था’ का इंतजार कर रहे है, जो 5 जुलाई को सिनेमाघरों में दस्तक देगी। फिल्म की रिलीज से पहले निर्देशक नीरज पांडे ने अमर उजाला के खास कार्यक्रम शुक्ल पक्ष के साथ बातचीत की है।
कहानी लिखते समय ध्यान में किरदार रखते हैं?
जब लिखना शुरू करते हैं, तो बीच में दिमाग में किरदार आ जाते हैं। मगर कहानी शुरू करने से पहले तो बिल्कुल भी नहीं होते हैं, जो कि बहुत गलत भी होगा। पर जैसे-जैसे आप कुछ डायलॉग, कुछ सिचुएशन लिखते हैं, ऑप्शन दिमाग में आने लगते हैं।
आज की जनरेशन को क्या पढ़ना चाहिए?
नीरज पांडे ने कहा कि सब कुछ पढ़ना चाहिए। फिक्शन, नॉन फिक्शन जिस भी भाषा में हो और जिस भाषा में आपको लिखना हो, वो तो जरूर ही पढ़ें। ऑब्जर्व करना सीखें, क्योंकि ये लिखने के लिए सबसे जरूरी है। मुझे लगता है कि जब तक ऑब्जर्व नहीं कर पाएंगे, तब तक अच्छा लिख नहीं सकते हैं।
कम और ज्यादा उम्र के कलाकरों के साथ एक ही भूमिका दिखाने का तरीका लोगों को नया लग सकता है?
23 वर्षों में आप फिजिकली और इमोशनली बहुत बदल जाते हैं। जिन परिस्थितियों में ‘औरोंं में कहां दम था’ के किरदार मिलते हैं, उसे कहने का कोई दूसरा तरीका नहीं था कि आप उनका ये यंग वर्जन दिखा सकते। हमने सोचा कि यंग कलाकार ही इनका यंग वर्जन निभा सकते हैं। इसे लेकर हमने कोई बीतचीत नहीं की कि क्यों और कैसे, सभी इसे लेकर बहुत क्लीयर थे। वहीं, एआई को लेकर उन्होंने कहा कि इसकी वजह से फिल्म अच्छी नहीं बन सकती। क्रिएटिविटी और टेक्नोलॉजी जब मिलेगी उसका क्या रिजल्ट होगा, ये तो तभी पता चल सकता है।