New Criminal Laws In Hindi: नए आपराधिक कानून 01 जुलाई 2024 से प्रभावी हो गए हैं. भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के जरिए, देश की न्यायिक प्रणाली में बड़ा बदलाव किया गया है. अब नागरिकों के लिए अपराधों की जानकारी देना काफी आसान हो गया है. वे ऑनलाइन अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. नए कानूनों में ‘जीरो एफआईआर’ का प्रावधान है यानी किसी भी थाने में FIR फाइल की जा सकती है. इसके अलावा क्राइम स्पॉट की वीडियोग्राफी, इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से समन भेजे जाने समेत कई ऐसे बदलाव हैं जिनके बारे में जानना जरूरी है. आइए आपको नए आपराधिक कानूनों में आपके काम की पांच बातें बताते हैं.

1. नए क्रिमिनल कानूनों के तहत FIR कैसे दर्ज होगी?

नए कानूनों के तहत, आप इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अपराध की रिपोर्ट दे सकते हैं. इसके लिए आपका खुद थाने जाना जरूरी नहीं. दिल्ली पुलिस ने अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन FIR फाइल करने की सुविधा दे रखी है. इसके अलावा संबंधित थाने को ई-मेल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भी घटना की जानकारी दी जा सकती है. e-FIR शुरुआती वेरिफिकेशन के लिए जांच अधिकारी (IO) को भेजी जाएगी. IO को यह तय करना होगा कि प्रथमद्रष्टया मामला बनता है या नहीं. तीन दिन के भीतर ईमेल पर जानकारी देनी होगी और FIR दर्ज करनी होगी.

2. जीरो एफआईआर क्या है? कहां दर्ज होगी?

नए क्रिमिनल लॉ के तहत, जीरो एफआईआर की शुरुआत हुई है. आप किसी भी थाने में देशभर में कहीं भी हुए अपराध की FIR दर्ज करा सकते हैं. इससे फर्क नहीं पड़ता कि घटना संबंधित थाने की सीमा में हुई है या नहीं. इससे FIR दर्ज कराने में आने वाली तमाम रुकावटों से छुटकारा मिलेगा.

जीरो FIR दज कराने के लिए किसी भी पुलिस थाने में जाएं. मौके पर मौजूद अधिकारी जीरो एफआईआर रजिस्टर में शिकायत दर्ज करेगा. FIR नंबर के आगे ‘जीरो’ लगा होगा. पुलिस अधिकारी उस FIR को संबंधित थाने में भिजवाएंगे, वहां पर यह रेगुलर FIR की तरह दर्ज की जाएगी.

3. FIR की कॉपी कैसे मिलेगी?

नए कानूनों के जरिए, पीड़ितों को एफआईआर की मुफ्त कॉपी उपलब्ध कराई जाएगी.

Explainer: आज से डंडा की जगह डेटा, ऑनलाइन FIR… नए आपराधिक कानूनों की 10 बड़ी बातें

4. जांच सही हो, यह कैसे सुनिश्चित होगा?

नए कानून आरोपियों को भी कुछ अधिकार प्रदान करते हैं. जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, उसे अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी की सूचना देने का अधिकार होगा. गिरफ्तारी की जानकारी थानों और जिला पुलिस मुख्‍यालयों में प्राथमिकता से प्रदर्शित की जाएगी जिससे आरोपी के रिश्तेदारों और दोस्तों को आसानी से जानकारी मिल पाए. 

गंभीर अपराधों में फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का मौके पर जाना अनिवार्य बना दिया गया है. सबूतों से किसी तरह की छेड़छाड़ न हो पाए, इसके लिए सबूत जुटाने के दौरान क्राइम सीन की वीडियोग्राफी की जाएगी.

कानूनी प्रक्रिया को तेज करने के लिए, अब समन इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भी भेजे जा सकेंगे. अदालतों को सुनवाई में बेवजह देरी से रोकने के लिए अधिकतम दो बार स्थगन की ही अनुमति होगी.

गवाहों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार अनिवार्य रूप से योजनाएं चलाएंगी.

5. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर कैसा रुख?

नए क्रिमिनल कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी जाएगी. सूचना दर्ज होने के दो महीने के भीतर जांच पूरी करनी होगी. पीड़ितों को 90 दिन के भीतर केस से जुड़ी रेगुलर अपडेट्स पाने का हक होगा.

नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में मुफ्त फर्स्ट-एड या मेडिकल इलाज की गारंटी दी गई है. 

महिलाओं, 15 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों, 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों तथा विकलांग या गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को पुलिस स्टेशन आने से छूट दी गई है. वे अपने घर पर ही पुलिस से मदद ले सकते हैं.



Source link

By attkley

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *