Bihar Politics: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे के बाद और आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में राज्यसभा की खाली हुई सीट पर उपेंद्र कुशवाहा को उच्च सदन भेजने का फैसला किया है. एनडीए की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से भाजपा के बागी पवन सिंह के मैदान में उतर जाने से हार गए थे. नतीजे में कुशवाहा तीसरे नंबर पर रहे थे.

बिहार में चरम पर पहुंचा कोइरी यानी कुशवाहा पॉलिटिक्स 

इसके साथ ही बिहार में कोइरी यानी कुशवाहा पॉलिटिक्स चरम पर पहुंच गया है. क्योंकि जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा राज्यसभा भेजने जा रही है. वहीं, एनडीए की दूसरी सहयोगी पार्टी जदयू भगवान सिंह कुशवाहा को विधान परिषद भेजने की घोषणा कर चुकी है. इसके पहले राजद ने लोकसभा में अभय सिंह कुशवाहा को पार्टी का नेता बनाया था. लालू की पार्टी ने चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे में भी यादव के बाद बाद कुशवाहा जाति को तरजीह दिया था.

राजद और जदयू-भाजपा में कोइरी वोट बैंक की रस्साकशी

राजनीति के जानकारों के मुताबिक बिहार में लालू प्रसाद यादव की माय समीकरण यानी मुस्लिम और यादव के सामने नीतीश कुमार ने लव-कुश समीकरण बनाकर ही मुकाबला किया और जातक भी हासिल की थी. नीतीश कुमार के इस कुर्मी-कोइरी जातीय समीकरण को कमजोर करने के लिए ही राजद ने लोकसभा चुनाव के दौरान कुशवाहा जाति पर डोरे डालने तेज कर दिए थे. वहीं, नीतीश कुमार की जदयू ने उमेश कुशवाहा और भाजपा ने सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर इस जाति के वोट को साथ बनाए रखने की कोशिश की. उपेंद्र कुशवाहा भी इसी जाति को ध्यान में रखकर राजनीति करते हैं.

भाजपा के विवेक ठाकुर और राजद की मीसा भारती की राज्यसभा सीट खाली

लोकसभा जीतकर संसद पहुंचे भाजपा के विवेक ठाकुर और राजद की मीसा भारती की राज्यसभा छोड़ने से खाली दो सीटों पर तय उपचुनाव में भाजपा और जदयू एक-एक उम्मीदवार उतारने वाली है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मंगलवार को ऐलान कर दिया कि भाजपा अपने कोटे से उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजेगी. इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने एक्स पर पोस्ट कर अपनी राज्यसभा की सदस्यता को लेकर जानकारी दी.

उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए के नेताओं-कार्यकर्ताओं का जताया आभार

उपेंद्र कुशवाहा ने अपने पोस्ट में राष्ट्रीय लोक मोर्चा सहित एनडीए के सभी घटक दलों भाजपा, जदयू, हम, लोजपा रामविलास के शीर्ष नेताओं और कर्मठ कार्यकर्ताओं को विपरित परिस्थिति में भी स्नेह बनाए रखने के लिए धन्यवाद कहा. उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अमित शाह, जेपी नड्डा, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, सम्राट चौधरी का नाम भी मेंशन किया. हालांकि, केंद्र में मोदी सरकार के मंत्रियों में बिहार से राजपूत और कोइरी नेताओं को जगह नहीं मिली है.

लोकसभा चुनाव के दौरान उपेंद्र कुशवाहा से किया गया था ये वादा

लोकसभा चुनाव में एनडीए के दलों के बीच टिकट बंटवारे के दौरान भाजपा ने कुशवाहा की रालोमो को एक लोकसभा सीट के साथ एक एमएलसी सीट देने का वादा किया था. बिहार भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े ने इस बारे में अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था. राजद के एमएलसी रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता रद्द होने से खाली हुई विधान परिषद की एक सीट पर उपचुनाव में नीतीश कुमार ने कोइरी जाति के भगवान सिंह कुशवाहा को टिकट दिया.

राज्यसभा में एनडीए का एक और मैच्योर नेता, तालमेल में आसानी 

उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो के नेता माधव आनंद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर विनोद तावड़े का पुराना ट्वीट शेयर किया और वादा याद दिलाया. इसके बाद भाजपा ने उपेंद्र कुशवाहा को मनाने के लिए राज्यसभा भेजने की घोषणा की. उपेंद्र कुशवाहा के राज्यसभा में जाने से ऊपरी सदन में भाजपा और एनडीए को एक मैच्योर नेता और मौका पड़ने पर विभिन्न दलों के साथ तालमेल बनाने में भी सुविधा होने की संभावना है.

अगले साल बिहार विधानसभा चुनाव, करीब 4 फीसदी कोइरी वोट

वहीं, दूसरी ओर अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भी ओबीसी वर्ग की कोइरी (कुशवाहा) जाति को वोटों पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. बिहार में 2023 में सामने आए जातिगत सर्वे के आंकड़ों के अनुसार कोइरी (कुशवाहा) जाति की आबादी करीब 4 फीसदी है. लोकसभा चुनाव के दौरान खासकर आखिरी चरण की आठ सीटों पर मतदान में कुशवाहा जाति का वोट बैंक महागठबंधन यानी इंडी गठबंधन की बढ़त के लिए काफी निर्णायक साबित हुआ था.

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लोकसभा चुनाव में कोइरी वोट ने दिया इंडी गठबंधन का साथ

दक्षिण बिहार की औरंगाबाद लोकसभा सीट पर राजद के कोइरी दांव के चलते पहली बार गैर राजपूत उम्मीदवार अभय कुशवाहा ने जीत हासिल की. वहीं,  काराकाट में पवन सिंह के आने से राजपूत उनके पक्ष में गोलंबद हो गए. इससे कुशवाहा समेत ओबीसी वोटर एनडीए छोड़कर महागठबंधन के पक्ष में चले गए. मगध और शाहाबाद की अन्य सीटों पर भी इसका असर पड़ा था. इसके चलते काराकाट के साथ ही आरा, बक्सर, सासाराम, पटना साहिब में एनडीए को हार का सामना करना पड़ा और महागठबंधन के उम्मीदवार जीत गए.

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By attkley

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