Dornier-228 aircraft
– फोटो : ANI
विस्तार
मालदीव को भारत से उलझना महंगा पड़ रहा है। दरअसल, द्वीप राष्ट्र के रक्षा मंत्री के रक्षा मंत्री घासन मौसून ने माना है कि उनकी सेना के पास अभी एक भी पायलट ऐसा नहीं है जो भारत की ओर से मदद के लिए दिए गए तीन विमानों को उड़ाने में सक्षम हो। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के कहने पर भारत ने कुछ दिनों पहले अपने 76 सैन्यकर्मियों को वापस बुला लिया था। हालांकि, इन सैन्यकर्मियों की जगह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नागरिक कर्मचारियों ने ली है।
घासन ने शनिवार को राष्ट्रपति कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने मालदीव में दो हेलीकॉप्टर और एक डॉर्नियर विमान चलाने के लिए तैयान भारतीय सैनिकों की वापसी और उनकी जगह भारत से नागरिक कर्मचारियों को बुलाने के बारे में जानकारी दी।
एक पत्रकार के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) में कोई भी ऐसा सैनिक नहीं है जो भारतीय सेना द्वारा दान किए गए तीन विमानों का संचालन कर सके। कुछ सैनिकों को पिछली सरकारों के समझौतों के तहत उन्हें उड़ाने का प्रशिक्षण दिया गया था। लेकिन यह ऐसा प्रशिक्षण था जिसमें विभिन्न चरणों को पार करने की जरूरत होती थी। हमारे सैनिक विभिन्न कारणों से इन चरणों को पूरा न कर सके। इसलिए इस समय हमारे बल में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके पास दो हेलीकॉप्टर और डोर्नियर विमान को उड़ाने का लाइंसेंस हो।
चीन समर्थक नेता मुइज्जू ने 10 मई तक सभी भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने का अनुरोध किया था। ये सैन्यकर्मी इन विमानों का संचालन करने के लिए वहां तैनात थे। भारत पहले ही 76 सैन्यकर्मियों को वापस बुला चुका है। मुइज्जू के इस कदम के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया था। मालदीव के मीडिया की एक खबर में कहा गया है कि उनकी सरकार का सोनाहिया सैन्य अस्पताल से डॉक्टर्स को हटाने का कोई इरादा नहीं है।