संजय लीला भंसाली
– फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
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संजय लीला भंसाली की पहली वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ को रिलीज हुए तीन सप्ताह से ऊपर हो गए हैं। मगर, अभी तक इसे लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई इस सीरीज के जरिए भंसाली ने ओटीटी पर डेब्यू किया है। हाल ही में संजय लीला भंसाली इस सीरीज के सिलसिले में बात करते नजर आए। इस दौरान उन्होंने अपने फिल्म मेकिंग के स्टाइल और जिंदगी से जुड़ी दिलचस्प बातें साझा कीं।
रोजमर्रा की जिंदगी में आती हैं बाधाएं
संजय लीला भंसाली ने Galatta Plus से बातचीत के दौरान कहा कि उनके लिए रोजमर्रा की जिंदगी के काम करने काफी मुश्किल भरे हैं। मशहूर निर्माता-निर्देशक ने कहा, ‘मेरी रोजाना की जिंदगी बाधाओं से भरी है। यहां तक कि टीवी स्विच ऑन करना भी मेरे लिए एक बाधा है। यह इतना कठिन है कि कोई अंदर आता है तो मेरी खातिर इसे ऑन कर देता है। लेकिन, मैं इस चीज को ठीक नहीं कर पाता’।
इच्छाओं की खोज को बताया भ्रम
भंसाली ने आगे कहा, ‘मैं लाइट जलाऊंगा और बल्ब बंद हो जाएगा। मैं एक कमरे में जाता हूं तो कंप्यूटर क्रैश हो जाता है। मेरे पास कुछ ऐसी एनर्जी हैं, जो मेरी जिंदगी के हर काम को मेरे लिए बेहद मुश्किल बना देती हैं’। भंसाली को ‘परफेक्शनिस्ट’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि कोई कितनी भी कोशिश कर ले एक सच्ची श्रेष्ठता हासिल करना मुश्किल है’। उन्होंने आगे कहा, ‘आप पूर्णता पाना चाहते हैं? ढूंढते रह जाओगे। आप एक आदर्श रिश्ता चाहते हैं? ढूंढ़ते रह जाओगे। आप जिसे खोजने निकले हैं, वह एक भ्रम है’।
रेखा ने जताई मुलाकात की इच्छा
बातचीत के दौरान भंसाली ने कहा कि वे सुख-सुविधाओं से काफी दूरी बनाकर रहे हैं। वे सुविधाजनक जिंदगी नहीं चाहते हैं। भंसाली ने 2002 में फिल्म ‘देवदास’ की मेकिंग के समय को याद करते हुए कहा कि तब वे एक छोटे से लिविंग रूम में ही रहते थे और वहीं गद्दा डालकर सो जाते थे। निर्देशक ने कहा, ‘मैं गद्दे पर सोता था। एक दिन रेखा जी ने ‘देवदास’ देखने के बाद कहा कि वे मुझसे मिलना चाहती हैं। मैंने कहा, ‘आप निराश होंगी’। फिर भी वे आईं। जब दरवाजा खुला, तो उन्होंने यह छोटी सी जगह देखी और मैंने उनसे कहा, ‘मैं यहीं सोता हूं और यहीं अपनी फिल्म बनाता हूं’। मुझे कभी लगा ही नहीं कि मुझे बेड रूम या सुविधाओं की जरूरत है’।