प्रधानमंत्री कार्यालय में नरेंद्र मोदी।
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रविवार को शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री ने आज कार्यभार संभाला। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की पहली बैठक की अध्यक्षता की और दो बड़े निर्णय लिए। पहला निर्णय देश के गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत तीन करोड़ मकान बनाने का और दूसरा किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि की किस्त जारी करने का। मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री ने अपने सहयोगियों को बताया कि उनके पुराने मंत्रिमंडल के साथी पहले की तरह काम करते रहेंगे। केवल उन्हीं विभागों में नए चेहरे आए, जिस विभाग के मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के मंत्री चुनाव हार गए थे या जिसके पास अतिरिक्त मंत्रालय थे। इसे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार के मजबूती और स्थायित्व के संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अपने आवास पर पहुंचे वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि थोड़ी देर में सूची जारी होगी। मीडिया पिछले दिनों से मंत्रिमंडल के विभाग में बंटवारे और सहयोगी दलों की मांग को लेकर न जाने क्या क्या खबरे चला रहा था, लेकिन इसमें कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। सूत्र का कहना है कि लोगों को अनुमान लगाकर सोचना छोड़ देना चाहिए। केन्द्र की सरकार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनी पहली दोनों सरकारों की तरह देश को सतत विकास के रास्ते पर ले जाएगी।
न सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति में बदलाव, न पुराने मंत्रियों के रुतबे पर असर
गृह, रक्षा,वित्त और विदेश मंत्रालय पहले की तरह क्रमश: अमित शाह, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर के पास हैं। रेल मंत्री अश्विन वैष्णव के पास उनके प्रमुख विभाग हैं और पीयूष गोयल वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का कामकाज देखते रहेंगे। मनसुख मंडाविया से केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय लेकर इसे भाजपा के अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को दे दिया गया। नड्डा पहले भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। जबकि मंडाविया के पास अब श्रम मंत्रालय और युवा एवं खेल मंत्रालय रहेगा। इससे पहले युवा और खेल सर्बानंद सोनेवाल के पास था। वह आयुष के मंत्री भी थे। सोनोवाल के पास अब जहाजरानी मंत्रालय रहेगा। हरदीप पुरी के पास केवल पेट्रोलियम और रसायन रहेगा। जबकि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को उर्जा के साथ साथ शहरी विकास मंत्रालय का प्रभार दिया गया है। अनुराग ठाकुर की जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। ज्योतिरादित्य इससे पहले नागरिक उड्डयन मंत्री थे। यह मंत्रालय अब तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के पास चला गया है। प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को काफी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उनके पास कृषि एवं किसान कत्याण मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय रहेगा। कृषि मंत्रालय पहले मध्य प्रदेश के नरेन्द्र तोमर के पास था। अब वह प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष हैं।
सहयोगियों को बड़े अहम और इज्जतदार विभाग मिले
राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह पहली बार केंद्रीय मंत्री बने हैं। वे बिहार की राजनीति का बड़ा नाम हैं। नीतीश कुमार के करीबी हैं। उनके पास पंचायत, मत्य पालन और एनीमल हसबैंड्री विभाग रहेगा। इससे पहले मत्य पालन मंत्री गिराराज सिंह होते थे। अब उनके पास केवल कपड़ा मंत्रालय है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) के चिराग पासवान के पास खाद्य प्रसंस्करण, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी के पास सूक्ष्म, लघु एवं मझोले लघु उद्योग मंत्रालय और राष्ट्रीय लोकदल के नेता और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार जयंत चौधरी के पास दक्षता मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार रहेगा। वह शिक्षा मंत्रालय में भी राज्यमंत्री होंगे। प्रधानमंत्री ने जनता दल यूनाइटेड के राम नाथ ठाकुर को कृषि मंत्रालय में राज्यमंत्री के तौर पर सम्मानित किया है। अनुप्रिया पटेल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और उर्वरक एवं रसायन में राज्यमंत्री होगी। जलशक्ति मंत्रालय गजेन्द्र सिंह शेखावत के पास था। अब इस विभाग के मंत्री सीआर पाटिल बनाए गए हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का स्थान अन्नपूर्णा देवी ने ले लिया है। ईरानी इस बार अमेठी से चुनाव हार चुकीं हैं।
मंत्रिमंडल में विभाग बंटवारे से निकला संदेश
प्रधानमंत्री और उनकी टीम ने सच में बड़ा होमवर्क किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी पिछली सरकार और नई सरकार में कोई फर्क न होने का संदेश दिया है। जबकि पिछली दोनों सरकारों में भाजपा ने पूर्ण बहुमत के आंकड़े को काफी पीछे छोड़ दिया था। इस बार भाजपा की नहीं बल्कि एनडीए के सहयोग से गठित हुई केन्द्र सरकार है। मंत्रिमंडल में विभाग के बंटवारे से प्रधानमंत्री ने संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार और एनडीए में सबकुछ ठीकठाक है। उनके रुतबे में कोई फर्क नहीं आया है। यह संदेश देश की घरेलू राजनीति से अधिक अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए महत्वपूर्ण है। घरेलू राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय देश में एनडीए की गठबंधन सरकार को लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहा था। इसका असर भारत में निवेश पर पडऩे की संभावना व्यक्त की जा रही थी। लेकिन अपने विभाग के बंटवारे के जरिए प्रधानमंत्री ने सभी का मुंह बंद करा दिया है। उन्होंने साफ संदेश दिया है कि उनके नेतृत्व की सरकार देश के विकास और भारत के राष्ट्रीय हित को पहले की तरह सुधार की तरफ ले जाना जारी रखेगी।