अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: सुशील कुमार
Updated Fri, 03 Dec 2021 12:09 AM IST
सार
कोरोना महामारी और नए वैरिएंट की दहशत के बीच डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने भी कोई कदम नहीं उठाया है। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन और रेजीडेंट डॉक्टरों के बीच चर्चा होना जरूरी है।
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विस्तार
जानकारी के अनुसार दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के अलावा डीडीयू, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, आरएमएल अस्पताल, लोकनायक, जीटीबी सहित कई अस्पतालों में हड़ताल होने की पुष्टि हो चुकी है। जबकि कुछ अस्पतालों में आरडीए ने देर रात तक फैसला नहीं लिया है, लेकिन फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) का कहना है कि सभी सरकारी अस्पतालों में कार्यरत रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल के समर्थन में हैं।
नीटी पीजी काउंसलिंग को लेकर बीते सोमवार को भी देशभर में रेजीडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल की थी। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने जल्द से जल्द काउंसलिंग कराने पर आश्वासन भी दिया था, लेकिन तय समय के बाद भी मांग पूरी न होने की वजह से डॉक्टरों ने अब हड़ताल पर ही रहने का फैसला लिया है। हालांकि दिल्ली के अलावा दूसरे राज्यों की बात करें तो अलग-अलग जगहों पर बीते सोमवार से ही रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल देखने को मिल रही है।
उधर कोरोना महामारी और नए वैरिएंट की दहशत के बीच डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने भी कोई कदम नहीं उठाया है। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन और रेजीडेंट डॉक्टरों के बीच चर्चा होना जरूरी है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन एक मामले में केंद्र सरकार ने नीट पीजी काउंसलिंग को अस्थायी तौर पर रोकने और नए दिशा निर्देशों को लाने की जानकारी दी थी। इसके बाद डॉक्टरों का प्रदर्शन देश भर में शुरू हुआ है।
डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना महामारी की वजह से पहले ही उनका शैक्षणिक सत्र एक वर्ष पीछे चल रहा है। परीक्षाओं में देरी के बाद अब काउंसलिंग में देरी होने से उनका काफी नुकसान हो रहा है, जिसकी भरपाई सरकार नहीं करेगी। ऐसे में उन्होंने हड़ताल के जरिए अपनी मांग मनवाने का निर्णय लिया है।