अकबर…मुगल हरम और किन्नर
कहा जाता है कि अकबर के हरम में सैकड़ों औरतें थीं. उसके हरम के रखवाले भी किन्नर हुआ करते थे. मुगलों को किन्नरों से कुछ अलग लेवल का लगाव था. किन्नर ही बादशाहों के सबसे भरोसेमंद लोग थे. इसीलिए मुगल हरम की बेगमों और बाकी औरतों की सुरक्षा करने के लिए किन्नरों को ही तैनात किया जाता था. ऐसे में आज बात मुगल इतिहास के सबसे पॉपुलर पावर सेंटर रहे किन्नरों की जिनमें से एक तो अकबर का सबसे खासमखास दोस्त किन्नर था. किन्नरों की इन कहानियों से लोग अबतक अनजान रहे हैं.
मुगल सल्तनत में किन्नर कई भूमिका में थे. कोई सिक्योरिटी अफसर था तो कोई सलाहकार की भूमिका में था. इसी तरह कुछ किन्नर बादशाह के मुखबिर बनकर काम करते थे. इसी तरह कुछ किन्नरों का मुगल दरबार के कामकाज में दखल था. यानी ये समझने में कहीं कोई दिक्कत नहीं है कि 17 वीं शताब्दी में बादशाह के बाद अगर कोई शक्तिशाली था, तो वो किन्नर समुदाय था. इन हाईली पेड किन्नरों के पास ऐशो-आराम के हर साधन मौजूद थे. उनकी ऐसी लाइफस्टाइल सबको नसीब नहीं होती थी. किन्नरों के पास हाथी, घोड़े और पालकी से लेकर तमाम हीरे-जवाहरात और एक से बढ़कर एक कपड़े होते थे.
जावेद और इतिमाद खान
कहा जाता है कि मुगल सल्तनत में यूं तो सैकड़ों किन्नरों ने काम किया. कोई जन्म से किन्नर था तो किसी को जानबूझकर किन्नर बनाया गया. लेकिन कुछ किन्नरों की काबिलियत के चर्चे इतिहास में दर्ज है. ऐसा ही दो किन्नर थे जावेद और इतिमाद खान. पहले बात जावेद की जिसे बखूबी पता था कि मौके पर अपने दिमाग का इस्तेमाल कैसे करना है. वो अपने दम पर मुगल इतिहास का सबसे ताकतवर किन्नर बना. जावेद की भर्ती मुहम्मद शाह रंगीला के दौर में हुई थी. बादशाह की मौत के बाद जावेद एक प्रभावशाली किन्नर बनकर उभरा. वो मुगल बेगमों का भी खास था. कहा जाता है कि जब उसकी मौत हुई तो महल की एक शक्तिशाली महिला ने शोक में अपने गहने और शाही कपड़े उतार दिए थे.
अकबर का सबसे वफादार
किन्नरों हरम के रखवाले होते थे. उन्हें ख्वाजासरा कहा जाता था. बिना उनकी इजाजत के कोई भी मुगल हरम में एंट्री नहीं ले सकता था. ऐसा ही ताकतवर था इतिमाद खान जो बादशाह अकबर का सबसे खास किन्नर था. इतिमाद खान, अकबर के मुंह लगा था. अकबर को इतिमाद खान तमाम साजिशों और इधर-उधर की बातों के बारे में बताया करता था, जो अकबर के खिलाफ हुआ करती थीं.
हरम में थी ये हैसियत
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इतिमाद खान का दरबार के कामकाज में भी दखल था. वो बहुत ताकतवर था. उसे बहुत से लोग खान साहब बुलाते थे. इतिमाद खान न सिर्फ हरम का सबसे आला दर्जे का अधिकारी था बल्कि अकबर ने उसे शाही खर्चों से जुड़ी अहम जिम्मेदारियां भी दे रखी थीं.