न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 01 Sep 2021 04:10 AM IST

सार

15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, क्षेत्रीय विश्लेषकों की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक दक्षिण एशिया में सक्रिय आतंकवादी समूहों की जीत है।

अलकायदा आतंकी (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया

ख़बर सुनें

अफगानिस्तान में तालिबान की जीत पर अलकायदा ने मंगलवार को बधाई दी। बधाई संदेश में ‘इस्लाम के दुश्मनों के चंगुल से’ कश्मीर और अन्य तथाकथित इस्लामी भूमि की ‘मुक्ति’ का आह्वान किया। उसके इस बधाई संदेश ने भारत के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।

अमेरिकी सेनाओं के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद तालिबान ने एलान किया कि अफगानिस्तान ने पूर्ण आजादी हासिल कर ली है। इसके कुछ ही घंटे बाद अलकायदा ने तालिबान को बधाई वाला संदेश भेजा। 

क्या है अलकायदा के संदेश?
अलकायदा ने तालिबान को भेजे बधाई संदेश का शीर्षक दिया है, ‘इस्लामिक उम्माह को अफगानिस्तान में अल्लाह द्वारा दी गई आजादी मुबारक।’ इस मैसेज में लिखा है, ‘ओ अल्लाह, लेवंत, सोमालिया, यमन, कश्मीर और दुनिया के अन्य इस्लामी जमीनों को इस्लाम के दुश्मनों से आजाद कराओ। ओ अल्लाह, दुनिया भर में मुस्लिम कैदियों को आजादी दिलाओ।’

अलकायदा ने अपने संदेश में आगे लिखा है कि हम सर्वशक्तिमान और सर्वविद्यमान अल्लाह की तारीफ करते हैं कि उसने अविश्वास के मुखिया अमेरिका को अपमानित किया और उसे शिकस्त दी। हम उनकी तारीफ करते हैं कि उसने अमेरिका को तोड़ दिया और इस्लाम की धरती अफगानिस्तान पर उसे शिकस्त दी है। आगे उसने लिखा है कि निश्चित तौर पर अफगानिस्तान साम्राज्यों की कब्रगाह है। अमेरिका को मात देने के साथ इस देश ने दो दशकों के छोटे से समय में तीन बार अलगाववादी ताकतों को देश से निकाल बाहर किया है।

तालिबान ने अमेरिका के साथ किया था शांति समझौता, ये थी शर्त
15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, क्षेत्रीय विश्लेषकों की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक दक्षिण एशिया में सक्रिय आतंकवादी समूहों की जीत है। फरवरी 2020 में तालिबान और अमेरिका द्वारा हस्ताक्षरित शांति समझौते की शर्तों में से एक यह थी कि अफगान आतंकवादी समूह को सभी आतंकवादी समूहों, विशेष रूप से अल-कायदा के साथ अपने संबंध तोड़ने होंगे। हालांकि, हाल के महीनों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध निगरानी टीम द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने अल-कायदा के साथ अपने संबंधों को तोड़ने या कम करने का कोई सबूत नहीं दिया है।

तालिबान की जीत को बताया प्रेरणा
अलकायदा ने अमेरिका को शैतान का साम्राज्य कहा है। साथ ही उसने तालिबान की इस जीत को दुनिया में दबे-कुचले लोगों के लिए प्रेरणा बताया है। उसने कहा है कि इन सारी घटनाओं से साबित होता है कि केवल जिहाद से ही जीत हासिल की जा सकती है। संदेश में आगे कहा गया है कि अब वक्त आ गया है कि आगे के संघर्ष के लिए रास्ता तैयार किया जाए। अल्लाह की मदद से हासिल हुई यह ऐतिहासिक जीत मुस्लिमों को पश्चिम द्वारा मुस्लिम देशों पर थोपी गई गुलामी से बचने का रास्ता दिखाएगी। 

भारत के लिए चिंता की बात
इस बीच भारत के लिए अलकायदा का यह संदेश इसलिए भी तनाव देने वाला है क्योंकि अफगान में तालिबान के उभार के बाद से ही कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में इजाफा हो गया है। ऐसी रिपोर्टें आई हैं कि अचानक से कश्मीर में कई आतंकवादियों ने घुसपैठ की है। वहीं पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में कई आतंकी तालिबान की जीत का जश्न मनाते भी देखे गए हैं।

विस्तार

अफगानिस्तान में तालिबान की जीत पर अलकायदा ने मंगलवार को बधाई दी। बधाई संदेश में ‘इस्लाम के दुश्मनों के चंगुल से’ कश्मीर और अन्य तथाकथित इस्लामी भूमि की ‘मुक्ति’ का आह्वान किया। उसके इस बधाई संदेश ने भारत के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।

अमेरिकी सेनाओं के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद तालिबान ने एलान किया कि अफगानिस्तान ने पूर्ण आजादी हासिल कर ली है। इसके कुछ ही घंटे बाद अलकायदा ने तालिबान को बधाई वाला संदेश भेजा। 

क्या है अलकायदा के संदेश?

अलकायदा ने तालिबान को भेजे बधाई संदेश का शीर्षक दिया है, ‘इस्लामिक उम्माह को अफगानिस्तान में अल्लाह द्वारा दी गई आजादी मुबारक।’ इस मैसेज में लिखा है, ‘ओ अल्लाह, लेवंत, सोमालिया, यमन, कश्मीर और दुनिया के अन्य इस्लामी जमीनों को इस्लाम के दुश्मनों से आजाद कराओ। ओ अल्लाह, दुनिया भर में मुस्लिम कैदियों को आजादी दिलाओ।’

अलकायदा ने अपने संदेश में आगे लिखा है कि हम सर्वशक्तिमान और सर्वविद्यमान अल्लाह की तारीफ करते हैं कि उसने अविश्वास के मुखिया अमेरिका को अपमानित किया और उसे शिकस्त दी। हम उनकी तारीफ करते हैं कि उसने अमेरिका को तोड़ दिया और इस्लाम की धरती अफगानिस्तान पर उसे शिकस्त दी है। आगे उसने लिखा है कि निश्चित तौर पर अफगानिस्तान साम्राज्यों की कब्रगाह है। अमेरिका को मात देने के साथ इस देश ने दो दशकों के छोटे से समय में तीन बार अलगाववादी ताकतों को देश से निकाल बाहर किया है।

तालिबान ने अमेरिका के साथ किया था शांति समझौता, ये थी शर्त

15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, क्षेत्रीय विश्लेषकों की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक दक्षिण एशिया में सक्रिय आतंकवादी समूहों की जीत है। फरवरी 2020 में तालिबान और अमेरिका द्वारा हस्ताक्षरित शांति समझौते की शर्तों में से एक यह थी कि अफगान आतंकवादी समूह को सभी आतंकवादी समूहों, विशेष रूप से अल-कायदा के साथ अपने संबंध तोड़ने होंगे। हालांकि, हाल के महीनों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध निगरानी टीम द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने अल-कायदा के साथ अपने संबंधों को तोड़ने या कम करने का कोई सबूत नहीं दिया है।

तालिबान की जीत को बताया प्रेरणा

अलकायदा ने अमेरिका को शैतान का साम्राज्य कहा है। साथ ही उसने तालिबान की इस जीत को दुनिया में दबे-कुचले लोगों के लिए प्रेरणा बताया है। उसने कहा है कि इन सारी घटनाओं से साबित होता है कि केवल जिहाद से ही जीत हासिल की जा सकती है। संदेश में आगे कहा गया है कि अब वक्त आ गया है कि आगे के संघर्ष के लिए रास्ता तैयार किया जाए। अल्लाह की मदद से हासिल हुई यह ऐतिहासिक जीत मुस्लिमों को पश्चिम द्वारा मुस्लिम देशों पर थोपी गई गुलामी से बचने का रास्ता दिखाएगी। 

भारत के लिए चिंता की बात

इस बीच भारत के लिए अलकायदा का यह संदेश इसलिए भी तनाव देने वाला है क्योंकि अफगान में तालिबान के उभार के बाद से ही कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में इजाफा हो गया है। ऐसी रिपोर्टें आई हैं कि अचानक से कश्मीर में कई आतंकवादियों ने घुसपैठ की है। वहीं पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में कई आतंकी तालिबान की जीत का जश्न मनाते भी देखे गए हैं।



Source link

By attkley

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *