अमर उजाला नेटवर्क, हमीरपुर/संतोषगढ़
Published by: Krishan Singh
Updated Wed, 01 Sep 2021 02:07 AM IST

सार

 एक सितंबर 1972 को हमीरपुर…. और ऊना जिला 12वें जिले के रूप में अस्तित्व में आया। कांगड़ा जिले के टुकड़े कर इससे ऊना और हमीरपुर को अलग कर दिया गया था। उस समय इसकी घोषणा हिमाचल निर्माता और प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार ने ऊना आकर की थी। 

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हिमाचल प्रदेश के ऊना और हमीरपुर जिले 49 साल पूरे कर बुधवार को स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। एक सितंबर 1972 को हमीरपुर और ऊना जिले के रूप में अस्तित्व में आए। कांगड़ा जिले के टुकड़े कर इससे ऊना और हमीरपुर को अलग कर दिया गया था। उस समय इसकी घोषणा हिमाचल निर्माता और प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार ने ऊना आकर की थी। 

महापंजाब के समय ऊना क्षेत्र पंजाब के होशियारपुर जिले में शामिल था। वर्ष 1966 में महापंजाब के पुनर्गठन के समय ऊना को प्रदेश के कांगड़ा जिले में शामिल किया गया। उस समय ऊना तहसील हुआ करती थी। ऊना के लोगों की संस्कृति, सभ्यता और बोलचाल की भाषा पंजाबी मिश्रित है। 1966 में कांगड़ा जिले का हिस्सा बनने के छह साल बाद 1 सितंबर 1972 को प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार ने कांगड़ा जिले का पुनर्गठन कर कांगड़ा, ऊना और हमीरपुर जिलों का विधिवत तौर पर निर्माण किया। 

कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है ऊना
ऊना का ऐतिहासिक महत्व रहा है। कालांतर में यह क्षेत्र कई प्राचीन जनपदों की लीला भूमि रही है। इन जनपदों में औदुम्बर और त्रिगर्त का विशेष महत्व रहा है। गुप्तकाल में औदुम्बर जनपद का अस्तित्व समाप्त हो गया। इसके बाद उत्तर गुप्तकाल में त्रिगर्त जनपद की ओर से औदुम्बर गणराज्य का समस्त भू-भाग अपने राज्य में मिला लिया गया। सातवीं शताब्दी में ऊना क्षेत्र का उल्लेख चीनी यात्री ह्यूनसांग की यात्रा से भी मिलता है।

ऊना का नामकरण
ऊना के नामकरण के संदर्भ में कहा जाता है कि गुरु नानक देव के वंशज बाबा कलाधारी जो गुरु गोविंद सिंह के समकालीन माने जाते थे। उन्होंने यहां के लोगों को पहली बार श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पवित्र वाणी का रसपान करवाया था। बाबा कलाधारी से जब कोई भी भक्त कुशलक्षेम पूछता तो बाबा कलाधारी अपनी तर्जनी अंगुली से आकाश की ओर इशारा कर कहते कि ‘सब उन्हां दी किरपा है’ (सब उनकी अर्थात परमेश्वर की कृपा हैं)। मत्स्य पुराण के मुताबिक ऊना शब्द की व्युत्पत्ति पहाड़ी राज्य के रूप में की गई है जो कि ऊन के व्यापार के लिए मशहूर हुआ करता था।

हमीरपुर ने दिए मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री
हमीरपुर। वर्ष 1998 और 2007 में वरिष्ठ भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल यहां से दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। मोदी सरकार में यहां से सांसद अनुराग ठाकुर वर्तमान में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा सेवाएं एवं खेल मंत्रालय संभाल रहे हैं।

वीरभूमि के तौर पर पहचाना जाता है हमीरपुर
हमीरपुर से आज भी बड़ी संख्या में युवा भारतीय सेनाओं में देश की रक्षा का कर्तव्य निभा रहे हैं। उत्तरी भारत के क्षेत्रों में देश पर हुए कई भीषण हमलों में वीरभूमि हमीरपुर के रणबांकुरों ने कई बार अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान देते हुए शहादत दी है। जिले के आठ वीर सपूतों ने वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध में वीरगति पाई। हिमाचल प्रदेश में कुल 1.21 लाख पूर्व सैनिक हैं। अकेले हमीरपुर जिले से 19407 पूर्व सैनिक हैं। हमीरपुर जिला से अभी तक 343 सैनिकों ने विभिन्न युद्धों में शहादत पाई है। हमीरपुर के 11 सैनिकों ने शौर्य चक्र, सात ने वीरचक्र और एक सैनिक ने कीर्ति चक्र हासिल किया।

विस्तार

हिमाचल प्रदेश के ऊना और हमीरपुर जिले 49 साल पूरे कर बुधवार को स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। एक सितंबर 1972 को हमीरपुर और ऊना जिले के रूप में अस्तित्व में आए। कांगड़ा जिले के टुकड़े कर इससे ऊना और हमीरपुर को अलग कर दिया गया था। उस समय इसकी घोषणा हिमाचल निर्माता और प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार ने ऊना आकर की थी। 

महापंजाब के समय ऊना क्षेत्र पंजाब के होशियारपुर जिले में शामिल था। वर्ष 1966 में महापंजाब के पुनर्गठन के समय ऊना को प्रदेश के कांगड़ा जिले में शामिल किया गया। उस समय ऊना तहसील हुआ करती थी। ऊना के लोगों की संस्कृति, सभ्यता और बोलचाल की भाषा पंजाबी मिश्रित है। 1966 में कांगड़ा जिले का हिस्सा बनने के छह साल बाद 1 सितंबर 1972 को प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार ने कांगड़ा जिले का पुनर्गठन कर कांगड़ा, ऊना और हमीरपुर जिलों का विधिवत तौर पर निर्माण किया। 

कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है ऊना

ऊना का ऐतिहासिक महत्व रहा है। कालांतर में यह क्षेत्र कई प्राचीन जनपदों की लीला भूमि रही है। इन जनपदों में औदुम्बर और त्रिगर्त का विशेष महत्व रहा है। गुप्तकाल में औदुम्बर जनपद का अस्तित्व समाप्त हो गया। इसके बाद उत्तर गुप्तकाल में त्रिगर्त जनपद की ओर से औदुम्बर गणराज्य का समस्त भू-भाग अपने राज्य में मिला लिया गया। सातवीं शताब्दी में ऊना क्षेत्र का उल्लेख चीनी यात्री ह्यूनसांग की यात्रा से भी मिलता है।

ऊना का नामकरण

ऊना के नामकरण के संदर्भ में कहा जाता है कि गुरु नानक देव के वंशज बाबा कलाधारी जो गुरु गोविंद सिंह के समकालीन माने जाते थे। उन्होंने यहां के लोगों को पहली बार श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पवित्र वाणी का रसपान करवाया था। बाबा कलाधारी से जब कोई भी भक्त कुशलक्षेम पूछता तो बाबा कलाधारी अपनी तर्जनी अंगुली से आकाश की ओर इशारा कर कहते कि ‘सब उन्हां दी किरपा है’ (सब उनकी अर्थात परमेश्वर की कृपा हैं)। मत्स्य पुराण के मुताबिक ऊना शब्द की व्युत्पत्ति पहाड़ी राज्य के रूप में की गई है जो कि ऊन के व्यापार के लिए मशहूर हुआ करता था।

हमीरपुर ने दिए मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री

हमीरपुर। वर्ष 1998 और 2007 में वरिष्ठ भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल यहां से दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। मोदी सरकार में यहां से सांसद अनुराग ठाकुर वर्तमान में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा सेवाएं एवं खेल मंत्रालय संभाल रहे हैं।

वीरभूमि के तौर पर पहचाना जाता है हमीरपुर

हमीरपुर से आज भी बड़ी संख्या में युवा भारतीय सेनाओं में देश की रक्षा का कर्तव्य निभा रहे हैं। उत्तरी भारत के क्षेत्रों में देश पर हुए कई भीषण हमलों में वीरभूमि हमीरपुर के रणबांकुरों ने कई बार अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान देते हुए शहादत दी है। जिले के आठ वीर सपूतों ने वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध में वीरगति पाई। हिमाचल प्रदेश में कुल 1.21 लाख पूर्व सैनिक हैं। अकेले हमीरपुर जिले से 19407 पूर्व सैनिक हैं। हमीरपुर जिला से अभी तक 343 सैनिकों ने विभिन्न युद्धों में शहादत पाई है। हमीरपुर के 11 सैनिकों ने शौर्य चक्र, सात ने वीरचक्र और एक सैनिक ने कीर्ति चक्र हासिल किया।



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