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अमर उजाला का पहला अंक 8 अप्रैल 1948 को पाठकों तक पंहुचा था। आगरा से यह एक विनम्र किन्तु दृढ़ संकल्पों से भरी शुरुआत थी। संस्थापक द्वय श्री डोरीलाल अग्रवाल और श्री मुरारीलाल माहेश्वरी ने पत्रकारिता के उच्चतर मूल्यों के साथ इस उपक्रम को आरम्भ किया था। अमर उजाला के प्रथम सम्पादकीय में ही स्पष्ट किया गया था – ‘अमर उजाला को राष्ट्रीय उद्देश्यों के लिए निर्भीकता के साथ चलाया जाएगा। उस पर किसी दलगत राजनीति को हावी नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए कभी किसी स्रोत से किसी भी प्रकार का संरक्षण, दान, अनुग्रह-धन स्वीकार नहीं किया जाएगा।’
संकल्प के इस उजाले में प्रशस्त हुए मार्ग पर चलते हुए ही हम 75वें वर्ष में प्रवेश कर गए हैं। पाठकों के अपरिमित विश्वास ने अमर उजाला को छः राज्यों, दो केंद्र शासित प्रदेशों के इक्कीस संस्करणों वाले विशाल समूह में परिवर्तित कर दिया है जिसकी चेतना का विस्तार समूचे हिंदी पत्रकारिता जगत में महसूस किया जाता है। शिमला से सितम्बर 2022 में अमर उजाला के बाईसवें संस्करण की शुरुआत इस उजाले को और प्रखर करने का अवसर है।
देवभूमि हिमाचल और अमर उजाला का जुड़ाव नया नहीं है। 30 जुलाई 1999 में चंडीगढ़ संस्करण के आरंभ के साथ अमर उजाला ने हिमाचल प्रदेश में कदम रखा। इसके बाद से देवभूमि के निवासियों के अपार प्रेम, विश्वास और समर्थन ने अमर उजाला को इस क्षेत्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला समाचार पत्र बना दिया। इसके बाद हिमाचल प्रदेश और यहां के पाठकों की आवश्यकताओं को समझते हुए अमर उजाला ने 8 दिसंबर 2005 में अत्याधुनिक मुद्रण (प्रिंटिंग) केंद्र के साथ धर्मशाला से संस्करण आरम्भ किया। धर्मशाला से निचले हिमाचल के जिलों के लाखों पाठकों तक अपनी सीधी पहुंच की निरंतरता ने अमर उजाला को सर्वप्रिय बना दिया।