जी-20 की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लेते प्रवीण कुमार डायरेक्टर मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस,,अनूप पी मथाई एडवाइजर मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस, राजेंद्र चौधरी एडीजी पीआईबी, बी पुरुषार्थ ज्वाइंट डायरेक्टर मिनिस्ट्री ऑफ़ फाइनेंस
– फोटो : अमर उजाला

जी-20 की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना कार्य समूह की दो दिवसीय बैठक में कर्ज में फंसे देशों को बाहर निकालने के तरीकों पर भी चर्चा की गई। पिछली बैठकों के फैसले पर शुरू किए गए ऋण सेवा निलंबन पहल (डीएसएसआई) को और बेहतर बनाने के लिए भी सुझाव मांगे गए।

वित्त मंत्रालय की आर्थिक सलाहकार अनु पी मथाई ने कहा कि विभिन्न देशों में ऋण की समस्या काफी पुरानी है और वर्तमान में बढ़ भी रही है। सिर्फ एक बैठक के बाद इस मुद्दे पर कुछ हल निकाल पाना फिलहाल मुश्किल है। अगली कई बैठकों में भी इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी ताकि जी-20 के सदस्य देश यह तय कर पाए कि ऋण की समस्या में फंसे देशों को बाहर निकालने का सबसे बेहतर तरीका क्या हो सकता है।

उन्होंने बताया कि पिछली बैठकों के बाद गरीब देशों को कर्ज के संकट से बाहर लाने के लिए ऋण सेवा निलंबन पहल (डीएसएसआई) लाया गया। इसके अनुसार कर्ज के भुगतान की समय सीमा को बढ़ाने का प्रावधान किया गया लेकिन अब ग्रुप ने पाया है कि उसमें भी कई तरह की चुनौतियां हैं। उन पर भी बैठक में गंभीरता से चर्चा की गई है। 

बात हुई है कि इस पहल को और बेहतर बनाने के लिए क्या किया जा सकता है। अनु पी मथाई ने बताया कि अफ्रीका के जांबिया, घाना, सूरीनाम, लैटिन व सेंट्रल अमेरिका के गरीब देश भी ऋण की समस्या से जूझ रहे हैं। एशिया में श्रीलंका भी इसी समस्या से त्रस्त है।



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By attkley

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