हिंदी हैं हम शब्द-श्रृंखला में आज का शब्द है अभिव्यक्ति जिसका अर्थ है प्रकटीकरण; स्पष्टीकरण। कवयित्री अनामिका ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है।
धीरे-धीरे जगहें छूट रही हैं,
बढ़ना सिमट आना है वापस - अपने भीतर।पौधा पत्ती-पत्ती फैलता
बच जाता है बीज-भर,
और अचरज में फैली आँखें
बचती हैं, बस, बून्द-भर।छूट रही है पकड़ से
अभिव्यक्ति भी धीरे-धीरे।
किसी कालका-मेल से धड़धड़ाकर
सामने से जाते हैं शब्द निकल।एक पैर हवा में उठाए,
गठरी ताने
बिल्कुल अवाक खड़े रहते हैं
गन्तव्य।
3 hours ago