supreme court
– फोटो : ANI

विस्तार


वायु प्रदूषण की स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर से बाहर कदम रखना भी मुश्किल हो गया है। कुछ दशक पहले तक यह दिल्ली का सबसे अच्छा समय होता था, लेकिन अब हालात अलग हैं। प्राधिकरणों की नाकामी का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा, सभी चीजें कागजों पर हैं, पर जमीनी हकीकत कुछ और है। 

शीर्ष कोर्ट ने केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से हलफनामा दायर कर प्रदूषण रोकने के लिए किए गए उपायों की जानकारी मांगी है। जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस पीके मिश्र की पीठ ने कहा, सभी राज्य एक हफ्ते में हलफनामा दायर कर जानकारी देंगे। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा, पराली जलाना वायु प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है। पंजाब में भारी संख्या में पराली जलाई जा रही है। मामले की अगली सुनवाई सात नवंबर को होगी। 

आने वाली पीढ़ियां होंगी प्रभावित

जस्टिस कौल ने कहा, अब भी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक(एक्यूआई) बेहद खराब स्थिति में है। एक्यूआई में कोई सुधार नहीं हो रहा है। आने वाली पीढ़ियों पर इसका बुरा असर पड़ेगा।

हमने कई उपाय किए

केंद्र की ओर से पेश वकील ने कहा, सरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। दाखिल रिपोर्ट में बीते तीन साल व मौजूदा हालात के बारे में बताया है। दो दिन में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन यह पिछले साल की तुलना में 40 फीसदी कम है।



Source link

By attkley

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *