केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक।
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आगामी लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक के साथ 370 सीटें जीतने का लक्ष्य तय करने के बाद भाजपा ने उम्मीदवारों के नाम पर मंथन शुरू कर दिया है। बृहस्पतिवार को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक से पूर्व प्रधानमंत्री निवास पर पार्टी के शीर्ष नेताओं की करीब छह घंटे तक चली बैठक में 21 राज्यों की 300 सीटों पर उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर लिया गया। इस बैठक में पंजाब, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में गठबंधन पर बातचीत तय होने तक उम्मीदवार घोषित नहीं करने का फैसला किया गया।

पीएम की अगुवाई में हुई मैराथन बैठक के बाद पार्टी मुख्यालय में देर रात सीईसी की बैठक शुरू हुई। पार्टी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पूर्व संभवत: शुक्रवार या शनिवार को सौ से अधिक उम्मीदवारों की पहली सूची और दस मार्च तक करीब 250 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए जाएंगे। पीएम आवास पर हुई बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह  सहित कई राज्यों के सीएम और डिप्टी सीएम मौजूद थे।

बैठक में उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, गोवा, उत्तराखंड, गुजरात, असम, झारखंड, तमिलनाडु, पुद्दुचेरी, अंडमान निकोबार, ओडिशा, दिल्ली, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर की सीटों पर मंथन हुआ। इनसे जुड़ी करीब 300 सीटों पर तीन—तीन उम्मीदवारों का पैनल तैयार किया गया। पार्टी की योजना एक या दो मार्च को पहली सूची जारी करने और दस मार्च तक तीन सौ सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने की है।

दिल्ली की चार सीटों पर नए चेहरों को उतारने की तैयारी

नई दिल्ली (हिमांशु मिश्र)। आगामी लोकसभा चुनाव में राजधानी दिल्ली के मतदाता भाजपा की ओर से नए चेहरों का दीदार करेंगे। बीते चुनाव में क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा इस बार राजधानी की सात में से कम से कम चार सीटों पर नए चेहरों को मौका देगी। पार्टी नेतृत्व ने इस बार मनोज तिवारी, रमेश विधूड़ी और प्रवेश वर्मा को ही दोबारा मौका देने का मन बनाया है।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि राजधानी में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के चुनाव पूर्व गठबंधन को ध्यान में रखते हुए पार्टी नेतृत्व ने नई रणनीति बनाई है। इस नई रणनीति के तहत सत्ता विरोधी रुझान की काट के लिए ज्यादातर पुराने सांसदों को इस बार चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी, गौतम गंभीर और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को इस बार टिकट मिलने की संभावना कम है। जबकि एक अन्य सांसद हंसराज हंस को पंजाब से चुनाव लड़ाया जाएगा। इनमें गंभीर को पूर्वी दिल्ली की जगह किसी अन्य राज्य से चुनाव लड़ने का विकल्प दिया जा सकता है।

तिवारी के जरिये पूर्वांचल को साधने पर नजर

राजधानी में जिन तीन सांसदों को टिकट तय माना जा रहा है, उनमें मनोज तिवारी शामिल हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बतौर दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष तिवारी का कार्यकाल छोटा होने के बावजूद पार्टी को निगम चुनाव के अलावा कई मोर्चे पर सफलता हासिल हुई थी। पार्टी की योजना उनके जरिए राजधानी के पूर्वांचल से जुड़े मतदाताओं के साथ ही भोजपुरी भाषी क्षेत्र को साधने की है। इस क्रम में पार्टी गोरखपुर के सांसद रविकिशन और आजमगढ़ के सांसद दिनेश चंद्र निरहुआ की भी सहायता लेगी। ये तीनों चेहरे भोजपुरी सिनेमा से जुड़े होने के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ क्षेत्रों में बेहद लोकप्रिय हैं।

गठबंधन को लेकर भी हुई अहम चर्चा

बैठक में पंजाब में अकाली दल, आंध्रप्रदेश में टीडीपी और जनसेना के साथ तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक से चुनाव पूर्व गठबंधन पर गंभीर चर्चा हुई। तीनों ही राज्यों में बातचीत अंतिम दौर में है। ऐसे में बातचीत के अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले उम्मीदवार घोषित नहीं करने का फैसला किया गया। पार्टी सूत्रों का कहना है कि तीनों ही राज्यों में गठबंधन को ले कर नेतृत्व का रुख सकारात्मक है। हालांकि नेतृत्व तीनों ही राज्यों में सम्मानजनक सीटें चाहता है।






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By attkley

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