Supreme Court News: चुनाव आयोग से कुछ और बिंदुओं पर स्पष्टता हासिल करने के बाद EVM-VVPAT को लेकर  दायर याचिकाओ पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट में दायर याचिकाओ में मांग की गई है कि EVM के जरिये डाले गए सभी वोट की VVPAT की सभी पर्चियों से मिलान किया जाए या फिर बैलेट पेपर से चुनाव हो.

चुनाव आयोग ने इस मांग को अव्यवहारिक बताया है. आयोग का दावा है कि EVM से वोटिंग पुरी तरह सुरक्षित है. इससे छेड़छाड़ कर चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की कोई संभावना नहीं है.

‘हम चुनाव आयोग को कंट्रोल नहीं कर सकते’
आज सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ताओं की ओर से ईवीएम की हैकिंग को लेकर आशंका जाहिर की गई तो कोर्ट ने कहा कि महज संदेह के आधार पर हम चुनाव आयोग को कोई आदेश जारी नहीं कर सकते. आपकी आशंकाओं को लेकर हमने चुनाव आयोग से  सवाल जवाब किया है.उन्होंने जो तकनीक दलीलें दी है, उस पर कोई अविश्वास करने की वजह नहीं है.अभी तक हैकिंग की कोई भी घटना सामने नहीं आई है.हम चुनाव को, चुनावी प्रकिया को तय नहीं कर सकते. चुनाव आयोग अपने आप में एक सवैंधानिक संस्था है. हम उसे कंट्रोल नहीं कर सकते.

SC ने  चुनाव आयोग से फिर स्पष्टता मांगी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से एक बार फिर कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता मांगी.इससे पहले 18 अप्रैल को चुनाव आयोग के अधिकारी ने EVM-VVPAT के काम करने के तरीके को सिलसिलेवार तरीके से कोर्ट के सामने रखा था.
आज सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

– माइक्रो कंट्रोलर कंट्रोल यूनिट में होता है या VVPAT में
– क्या माइक्रो कंट्रोलर वन टाइम प्रोग्रामेबल होता है, उसमे एक बार ही प्रोगाम डाला जा सकता है?
– सिंबल लोडिंग यूनिट्स आयोग के पास कितनी उपलब्ध है?
– इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने की समयसीमा चुनाव ख़त्म होने के बाद 30 दिन है या 45 दिन?डेटा 30 दिन सुरक्षित रखते हैं या 45?
– EVM की तीनों यूनिट क्या एक साथ सील होती है?
कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग के अधिकारी को 2 बजे कोर्ट में रहने को कहा.

चुनाव आयोग के अधिकारी का जवाब
2 बजे चुनाव आयोग के अधिकारी  कोर्ट के सामने पेश हुए. उन्होंने आयोग को  बताया:-
– एक वोटिंग यूनिट में एक बैलट यूनिट,कंट्रोल यूनिट और एक VVPAT यूनिट होती है. सभी यूनिट में अपना अपना माइक्रो कंट्रोलर होता है.इन कंट्रोलर से  छेड़छाड़ नहीं हो सकती
– सब यूनिट को  बस एक ही बार प्रोग्राम किया जा सकता है.
– चुनाव चिन्ह अपलोड करने के लिए हमारे पास दो मैन्युफैक्चर है- एक ECIL(इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) दूसरा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड(BHEL). ECIL में 1904 सिंबल यूनिट है. जबकि BHEL  में 3154 सिंबल यूनिट  है.

– सभी मशीन मतगणना के बाद  45 दिन तक स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखी जाती है. 46 वे दिन  चीफ इलेक्ट्रोल ऑफीसर सम्बंधित हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार से इसकी पुष्टि करता है कि क्या किसी सीट पर  चुनाव  को लेकर कोई याचिका तो दायर नहीं हुई है. रजिस्ट्रार से लिखित जवाब आने के चीफ इलेक्ट्रोल ऑफीसर डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिसर को उन जगह पर स्ट्रांग रूम खोलने को कहता है, जहाँ पर कोई याचिका दायर नहीं की गई.वही कोई याचिका दायर होने की सूरत में EVM सीलबन्द ही रहती है, उन्हें खोला नहीं जाता.

याचिकाकर्ताओं के सुझाव
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण, गोपाल शंकर नारायण, संजय हेगड़े और निजाम पाशा ने दलीलें रखी है.
याचिकाकर्ताओं की ओर से दिए गए मुख्य सुझाव:-

– सभी VVPAT पर्चियों की गिनती की जाए.
– EVM के जरिये डाले गए वोट की  VVPAT की सभी पर्चियों से मिलान हो.
– VVPAT के शीशे को पारदर्शी बनाया जाए.
– वीवीपैट की  लाइट हमेशा जलती रहे ताकि वोटर  VVPAT पर्ची के कटने से लेकर बॉक्स में गिरने तक की पूरी प्रकिया को देख सके. अभी सिर्फ 7 सेकेंड के लिए वोटर ऐसा देख सकता है.



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By attkley

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