Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि ये मानना गलत होगा कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को सामुदायिक भौतिक संसाधन (material resources of community) नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने कहा कि निजी संपत्ति का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर सार्वजनिक हित के लिए भी किया जा सकता है.
संविधान पीठ कर रही विचार
दरअसल, चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 9 जजों की संविधान पीठ इस पर विचार कर रही है कि क्या किसी की निजी संपत्ति को संविधान के आर्टिकल 39 बी के तहत ‘सामुदायिक भौतिक संसाधन’ माना जा सकता है और क्या इसका इस्तेमाल सरकार सार्वजनिक हित के लिए कर सकती है.
क्या है आर्टिकल 39 बी
दरअसल, आर्टिकल 39 बी राज्य के नीति निर्देशक तत्वों से संबंधित है. आर्टिकल 39 बी में कहा गया है कि सरकार अपनी नीति ऐसी बनाएगी कि सामुदायिक भौतिक संसाधनों को डिस्ट्रब्यूशन ऐसे हो कि जिससे आम जनता का हित सध सके.
‘संविधान का मकसद सामाजिक बदलाव भी’
चीफ जस्टिस ने कहा है कि ये कहना गलत होगा कि सिर्फ सार्वजनिक संसाधनों को ही’ सामुदायिक भौतिक संसाधन माना जा सकता है और निजी संपत्ति इसमे शामिल नहीं होगी. कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट फॉरेस्ट और माइन का ही हम उदाहरण ले लें, अगर ये कहा जाए कि प्राइवेट होने की वजह से उस पर सरकारी नीति लागू नहीं होगी, ये बेहद खतरनाक होगा.
कोर्ट ने कहा कि 1950 में जब देश का संविधान लागू हुआ, उस वक्त की सामाजिक परिस्थितियों के मद्देनजर उसे इस तरह से बनाया गया था कि ताकि ये सामाजिक बदलाव ला सके. ऐसे में ये कहना कि आर्टिकल 39 बी निजी सम्पत्तियों पर लागू नहीं होता, गलत होगा.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूंजीवादी, समाजवादी विचारधारा का जिक्र किया. पूंजीवादी विचारधारा जहां संपत्ति के निजी स्वामित्व पर जोर देती है, वहीं समाजवादी विचारधारा यहां कहती है कि कोई संपत्ति निजी संपत्ति नहीं है, सभी संपत्ति समाज की है.
चीफ जस्टिस ने क्या कहा
चीफ जस्टिस ने इन दोनों विचारधारा के बीच संतुलन कायम करने वाली गांधीवादी विचारधारा की हिमायत की. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे नीति निर्देश तत्व गांधीवादी विचारधारा का पालन करते हैं. हम न तो अति पूंजीवाद और न ही अति समाजवादी को अपनाते है. हम सोशलिस्ट मॉडल की उस हद तक नहीं जाते हैं जहां कोई निजी संपत्ति नहीं होती. हम संपत्ति उसे मानते है जिसे हम आने वाली पीढ़ी को हैन्ड ओवर करने के लिए संजो कर रखते है. आज की पीढ़ी के लिए जो संपत्ति हम रखते है, वो इस विश्वास के साथ भी संजो कर रखी जाती है कि वो आने वाले कल में समाज के हितों के लिए इस्तेमाल हो पाएगी.