एकनाथ शिंदे।
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महाराष्ट्र में जब तकरीबन ढाई साल पहले जब सियासी तूफान उठा, तो सबसे ज्यादा चर्चा में मुंबई से लगता हुआ इलाका ठाणे ही आया। दरअसल शिवसेना की बगावत में मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे ठाणे से ही हैं। अब जब लोकसभा का चुनाव चल रहा है, तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का यह गढ़ महाराष्ट्र के सियासत में फिर से सबसे ज्यादा चर्चा में है। इस बार यहां की लड़ाई ‘गद्दी और गद्दारी’ को लेकर लड़ी जा रही है। अमर उजाला डॉट कॉम ने ठाणे में लोकसभा के चुनावी समीकरण को समझा। स्थानीय लोगों से लेकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेताओं ने अपनी अपनी बात से चुनाव जीतने की मजबूत दावेदारी ठोंकी।

मुंबई से ठाणे में घुसते ही पहले टोल प्लाजा पर लाइन कुछ ज्यादा ही लंबी लगी थी। साथ चल रहे ड्राइवर ने कहा कि यह लाइन इसलिए लंबी है, क्योंकि बगल में मेट्रो का निर्माण कार्य चल रहा है। इसलिए एक रास्ता संकरा कर दिया गया है। टोल प्लाजा पार करते ही फ्लाईओवर के नीचे से दाहिने लेकर शहर की मुख्य मार्केट तक पहुंचने का रास्ता बन रहा था। यहां पहुंचते ही कलेक्ट्रेट और जिला सत्र न्यायालय के सामने की डिवाइडर रोड का भी चौड़ीकरण दिखा। स्थानीय दुकानदार शिव जवारे कहते हैं कि यह जो सड़क दिख रही है, इनमें खूब काम हुआ है। लेकिन जरूर इससे ज्यादा की है। उनका कहना है कि वैसे तो सियासी तौर पर ठाणे में अब विकास का काम बहुत तेज हो रहा है। लेकिन विकास के साथ ठाणे की सांसदी बहुत महत्वपूर्ण है। इसीलिए इस चुनाव में गद्दी और गद्दार को लेकर जमकर जुबानी तीर चलाए जा रहे हैं।

मुख्य मार्केट में मौजूद व्यापारी संतोष भिड़े कहते हैं कि यह गढ़ तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का ही माना जाता है। लेकिन इस चुनाव में कौन भारी पड़ेगा, यह कहना मुश्किल है। संतोष कहते हैं कि हाल में जो अभी हमारे राज्य में गद्दारी हुई है, उससे लोग बहुत नाराज हैं। खासतौर से शिव सैनिक तो बहुत ही नाराज हैं। वह कहते हैं कि चुनाव हारना जीतना तो अपनी जगह है, लेकिन लोगों के मन में गद्दारी जैसी बात चुनाव के दरमियान आना बड़ा फेरबदल कर सकती है। हालांकि ठाणे जैसे शहर में बदहाल यातायात व्यवस्था और लगने वाले जाम पर संतोष भी असंतोष जताते हैं। कहते हैं कि समस्या का समाधान तो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है। उनका मामना है कि आने वाले चुनाव में यह मुद्दे तो बहुत प्रभावित नहीं होंगे, लेकिन ठाणे में गद्दी और गद्दारी की कुर्सी पर तलवारें तो खिंची ही हैं।

इसी इलाके के वैभव जैन कहते हैं कि कुछ साल पहले महाराष्ट्र में जो सियासी उठापटक हुई थी, उसका कोई ऐसा फर्क नहीं पड़ने वाला। उनका मानना है कि एक चेहरे पर चुनाव हो रहा है। वैभव वह चेहरा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बताते हैं। वह कहते हैं कि एकनाथ शिंदे ने जब से महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का पदभार संभाला है, तब से खूब विकास हो रहा है। खासतौर से भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर वह अच्छा काम कर रहे हैं। जो काम पहले से रुके हुए थे, उनको बहुत तेजी से कराया जा रहा है। वैभव कहते हैं कि आप सियासत के नजरिए से हटकर जब विकास की बात करते हैं, तो आपको श्रेय सभी पार्टियों को देना चाहिए। उनका कहना है जो फ्लाईओवर और ओवरब्रिज आप देख रहे हैं, उनमें से कुछ कांग्रेस की सरकार ने भी बनवाए हैं। कुछ भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बनवाए हैं। हर सरकार थोड़ा-थोड़ा काम करती है। बस सियासत में इसी को लेकर नजरिया बदलता है और चुनाव उसी आधार पर हो जाते हैं।

उद्धव ठाकरे की शिवसेना के उपनगर प्रमुख वसंत विखे कहते हैं कि उनके राज्य में जो गद्दारी हुई, इसका थोड़ा बहुत इधर-उधर असर हो गया। लेकिन उस असर को हम लोग देखते ही नहीं हैं। हमारा काम चल रहा है। जो धोखा हुआ है, उसके बारे में पूरे महाराष्ट्र की जनता वाकिफ है और हमारे साथ इस वक्त गठबंधन की जो सबसे बड़ी ताकत मिली है, उससे पूरे चुनाव परिणाम बदलने वाले हैं। यह पूछने पर कि जिस गठबंधन की आप बात करते नहीं थक रहे, पिछले चुनाव में तो आपने उनका विरोध किया था। इस पर विखे कहते हैं कि यह सियासत है, हम तो 25 बरस से भारतीय जनता पार्टी के दोस्त थे। अब अगर भारतीय जनता पार्टी ने हमारे साथ इतना खेल खेला, तो ऐसे कठिन दौर में हमें अपने सही दोस्त की पहचान भी हुई, जो हमारे बुरे वक्त में हमारे साथ आ गया। वह हमारा सबसे मजबूत दोस्त है। हमारे गठबंधन के साथ देश के जितने महत्वपूर्ण दल जुड़े हैं। वह सब अपने संविधान को बचाने के लिए जुड़े हैं। 





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By attkley

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