दलाई लामा के पूर्व दुभाषिया और तिब्बती प्रतिनिधि गेशे दोरजी दामदुल ने कहा कि चीन दलाई लामा को अपने सबसे बड़े दुश्मन के रूप में देखता है। दोरजी दामदुल अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकल द्वारा नागरिक समाज के सात सदस्यों के साथ की गई गोलमेज बैठक में 28 जुलाई को शामिल हुए थे। 

बीते दिनों नई दिल्ली में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दलाई लामा के प्रतिनिधि से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर चीन भड़क गया और उसने अमेरिका को अंदरूनी मामलों में दखल नहीं देने को कहा। अमेरिकी विदेश मंत्री से मिलने वाले दलाई लामा के प्रतिनिधि गेशे दोरजी दामदुल ने कहा है कि दलाई लामा चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं और उन्होंने इसके पीछे की वजह भी बताई।

दोरजी दामदुल, जो नई दिल्ली में तिब्बत हाउस के निदेशक भी हैं, ने एक टीवी चैनल को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि ‘चीन दलाई लामा को अपने सबसे बड़े दुश्मनों के रूप में देखता है, जिन पर वे हावी नहीं हो सकते। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन सोचता है कि पूरी दुनिया दलाई लामा के साथ खड़ी है ना कि चीन के।’

तिब्बत में चीनी आक्रमकता पर गेशे दोरजी ने कहा, ‘तिब्बती बंदूक की नोक के नीचे जिंदगी गुजार रहे हैं। यदि आप दलाई लामा के बारे में कुछ भी कहते हैं, तो आपको गिरफ्तार कर लिया जाता है।’

गेशे दोरजी ने यह भी कहा कि चीन के आम लोग भी दलाई लामा को पसंद करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। दोरजी ने कहा कि जब चीन के राष्ट्रपति ने हाल ही में तिब्बत की राजधानी ल्हासा का दौरा किया था तो लोगों ने डर के साथ उनका स्वागत किया। लेकिन जब दलाई लामा के प्रतिनिधियों ने लगभग 20-30 साल पहले तिब्बत का दौरा किया था, तो सबने यह देखा था कि कैसे तिब्बत के लोगों ने कैसे उनका दिल खोल कर स्वागत किया था।

गेशे दोरजी ने अमेरिकी विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद चीन की चेतावनी को लेकर कहा कि अगर विश्व के देश इसको नजरअंदाज करेंगे तो जो तिब्बत के साथ हुआ वह दूसरे देशों में भी दोहराया जा सकता है और फिर दुनिया को पछताने के सिवा कुछ और नहीं मिलेग। साथ ही गेशे ने कहा कि अगर चीन सैन्य और आर्थिक रूप से अमेरिका से आगे निकल जाता है तो दुनिया उनके हाथों में होगी। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों को एक साथ आकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चीन अपनी आक्रामकता जारी ना रखे।

बता दें कि दलाई लामा से चीन की दुश्मनी बहुत पुरानी है। दरअसल 1912 में 13वें दलाई लामा ने तिब्बत को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था। बाद में जब 14वें दलाई लामा की घोषणा की जा रही थी तो चीन ने तिब्बत पर हमला कर दिया था। जिसके बाद दलाई लामा को भारत में शरण लेनी पड़ी।

कौन हैं गेशे दोरजी दामदुल? 
तिब्बती बौद्ध गुरु गेशे दोरजी दामदुल मौजूदा वक्त में तिब्बत हाउस, नई दिल्ली, दलाई लामा सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक हैं। इसकी स्थापना 1965 में दलाई लामा ने तिब्बत की अनूठी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रसार के लिए की थी। दामदुल 1988 में बौद्ध तर्कशास्त्र, दर्शन और ज्ञानमीमांसा में औपचारिक अध्ययन के लिए बौद्ध डायलेक्टिक्स संस्थान, धर्मशाला से जुड़े थे। बौद्ध दर्शन में 15 सालों के अध्ययन के बाद उन्होंने डेपुंग लोसेलिंग मठ विश्वविद्यालय से गेशे ल्हारम्पा डिग्री (पीएचडी) पूरी की। 2003 में दलाई लामा ऑफिस ने उन्हें अंग्रेजी अध्ययन के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी भेजा था। दामदुल बौद्ध धर्म और दर्शन से जुड़े कई किताब और पेपर्स लिख चुके हैं। दुनियाभर के कई यूनिवर्सिटी में वह दर्शन पढ़ाने जाते हैं।



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By attkley

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