न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Fri, 01 Oct 2021 12:32 AM IST

सार

हरियाणा सरकार ने किसानों के हित में निर्णय लेते हुए खरीफ की फसलों के पंजीकरण के लिए ‘मेरी फसल, मेरा ब्यौरा’ पोर्टल को 1 से 3 अक्तूबर तक पुन: खोल दिया है। पंजीकरण के लिए परिवार पहचान पत्र होना अनिवार्य है। 

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बेमौसमी बारिश ने किसानों की धान खरीद का गणित बिगाड़ दिया है। बारिश और नमी का हवाला देते हुए अब केंद्र सरकार ने हरियाणा और पंजाब को 11 अक्तूबर से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर धान की खरीद करने का निर्देश जारी किया है। गुरुवार शाम को आए इस आदेश के बाद से किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पीएम मोदी से एक अक्तूबर से पंजाब में धान खरीद शुरु करने की अनुमति मांगी। 

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भारतीय किसान यूनियन समेत आढ़ती एसोसिएशन ने इस फैसले का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी है। हरियाणा सरकार एक अक्तूबर से धान की सरकारी खरीद की घोषणा कर चुकी थी। बाकायदा इसके लिए सभी मंडियों में तैयारियां भी की गई हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी पत्र में साफ लिखा है कि बारिश के कारण अभी तक धान की फसल पूरी तरह नहीं पकी है, साथ ही इससे फसल में नमी है। इसी के चलते अब 11 अक्तूबर से धान की एमएसपी पर खरीद शुरू होगी। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एसीएस अनुराग रस्तोगी ने इस पत्र की पुष्टि की है।

आढ़तियों के विरोध में उठे स्वर
हरियाणा आढ़ती एसोसिएशन के संयोजक रजनीश चौधरी ने कहा कि यह गलत फैसला है। मंडियां पहले से धान से अटी पड़ी हैं। अगर सरकारी खरीद 11 से हुई तो मंडियां पूरी तरह से भर जाएंगी। जल्द खरीद शुरू होनी चाहिए। उधर, भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रत्न मान ने कहा कि सरकार किसानों के साथ मजाक कर रही है। इससे साफ है कि सरकार किसानों की फसलों को एमएसपी पर नहीं खरीदना चाहिए। इससे किसानों की फसलें औने पौने दामों में लूटी जाएगी। भाकियू इसका विरोध करती है और आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेगी। 

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार किसानों की फसलों को एमएसपी पर खरीद से बचने के लिए लगातार नए बहाने तलाश रही है। पांच जिलों की मंडियों में इस समय 12 लाख क्विंटल से अधिक धान खुले में पड़ा है, किसान दस दिनों से दिन रात उसकी रखवाली कर रहे हैं, मौसम लगातार डरा रहा है लेकिन सरकार का इस पर कोई असर नहीं है। तुरंत प्रभाव से सरकार को चाहिए वह खरीद शुरू कराए।  

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पंजाब के सीएम चन्नी ने पीएम मोदी से की अपील
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पीएम मोदी से अपील की है कि वह खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को 11 अक्तूबर से धान की खरीद करवाने वाले अपने पत्र को वापस लेने की सलाह दें। सीएम ने पीएम मोदी से पंजाब में एक अक्तूबर से धान खरीद शुरू करने की अनुमति देने की अपील की। पंजाब के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने बताया कि यह पत्र पंजाब सरकार को देर शाम ही प्राप्त हुआ है। खाद्य मंत्री ने कहा कि वह पंजाब में जल्द धान की खरीद कार्य शुरू करवाने के लिए भारत सरकार के साथ शुक्रवार को बात करेंगे। पंजाब सरकार धान का दाना-दाना खरीदने के लिए वचनबद्ध है और सीजन के दौरान किसानों को किसी भी तरह की कोई मुश्किल नहीं आने दी जाएगी।

विस्तार

बेमौसमी बारिश ने किसानों की धान खरीद का गणित बिगाड़ दिया है। बारिश और नमी का हवाला देते हुए अब केंद्र सरकार ने हरियाणा और पंजाब को 11 अक्तूबर से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर धान की खरीद करने का निर्देश जारी किया है। गुरुवार शाम को आए इस आदेश के बाद से किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पीएम मोदी से एक अक्तूबर से पंजाब में धान खरीद शुरु करने की अनुमति मांगी। 

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भारतीय किसान यूनियन समेत आढ़ती एसोसिएशन ने इस फैसले का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतावनी है। हरियाणा सरकार एक अक्तूबर से धान की सरकारी खरीद की घोषणा कर चुकी थी। बाकायदा इसके लिए सभी मंडियों में तैयारियां भी की गई हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी पत्र में साफ लिखा है कि बारिश के कारण अभी तक धान की फसल पूरी तरह नहीं पकी है, साथ ही इससे फसल में नमी है। इसी के चलते अब 11 अक्तूबर से धान की एमएसपी पर खरीद शुरू होगी। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एसीएस अनुराग रस्तोगी ने इस पत्र की पुष्टि की है।

आढ़तियों के विरोध में उठे स्वर

हरियाणा आढ़ती एसोसिएशन के संयोजक रजनीश चौधरी ने कहा कि यह गलत फैसला है। मंडियां पहले से धान से अटी पड़ी हैं। अगर सरकारी खरीद 11 से हुई तो मंडियां पूरी तरह से भर जाएंगी। जल्द खरीद शुरू होनी चाहिए। उधर, भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रत्न मान ने कहा कि सरकार किसानों के साथ मजाक कर रही है। इससे साफ है कि सरकार किसानों की फसलों को एमएसपी पर नहीं खरीदना चाहिए। इससे किसानों की फसलें औने पौने दामों में लूटी जाएगी। भाकियू इसका विरोध करती है और आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेगी। 


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