सार
आतंक पर वार करते हुए 20 पाकिस्तानी व 44 टॉप कमांडरों समेत 182 आतंकियों का सफाया।
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विस्तार
टारगेट किलिंग की घटनाओं पर गृह मंत्रालय के सख्त रवैये के बाद दहशतगर्दों को खोज खोजकर ढेर किया जा रहा है। दक्षिणी कश्मीर में मजबूत पकड़ रखने वाले हिजबुल मुजाहिदीन का नेटवर्क समाप्त हो गया है। उसे संगठन के लिए कैडर नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 2021 में विभिन्न आतंकी तंजीमों के 44 टॉप कमांडरों समेत 182 दहशतगर्दों का सुरक्षा बलों ने काम तमाम किया है।
कमांडरों में लश्कर के 26 व जैश के 10 हैं। अकेले 29 व 30 दिसंबर को तीन स्थानों (कुलगाम, अनंतनाग व श्रीनगर) पर मुठभेड़ में जैश के नौ आतंकियों को मार गिराने में सफलता मिली। इनमें दो पाकिस्तानी आतंकी भी थे। श्रीनगर को ठिकाना बनाने की आतंकियों की साजिश को सुरक्षा बलों ने विफल कर लश्कर और जैश के मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए मददगारों को गिरफ्तार किया। सूत्रों का कहना है कि हिजबुल की पकड़ कमजोर होने के बाद पाकिस्तानी आकाओं और आईएसआई ने जैश व लश्कर को वारदातों की कमान सौंपी।
स्थानीय आतंकी पीछे हटे, हमले के लिए ठिकानों से बाहर निकल रहे पाकिस्तानी दहशतगर्द
घाटी में सुरक्षा बलों की सख्ती के कारण अब स्थानीय आतंकी सुरक्षा बलों पर हमले से घबराने लगे हैं। ऐसे में ठिकानों में छिपे पाकिस्तानी आतंकी बाहर निकल रहे हैं ताकि स्थानीय आतंकियों के साथ मिलकर हमले की साजिश को कामयाब बनाया जा सके। 15 कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि स्थानीय आतंकियों के पीछे हटने से पाकिस्तानी आतंकी जो ठिकाने में छिपे हुए थे वे बाहर निकल रहे हैं और सुरक्षा बलों के हाथों मारे जा रहे हैं।
आतंकियों के सामने दो ही रास्ते हैं। हथियार छोड़ समर्पण कर मुख्यधारा में शामिल होना या फिर सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में मारा जाना। किसी भी कीमत पर इन्हें ढूंढ निकाला जाएगा। जम्मू-कश्मीर में शांति के माहौल को खराब करने की साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। घाटी में सुरक्षा बलों ने जैश व लश्कर के कई कमांडरों को मार गिराया है। पाकिस्तानी कमांडर भी ढेर किए गए हैं। हिजबुल का नेटवर्क लगभग समाप्त हो गया है। अब आतंकी भी सुरक्षित ठिकाना ढूंढने लगे हैं।
-दिलबाग सिंह, डीजीपी