Babul Supriyo: बीजेपी से इस्तीफा देकर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके सिंगर बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) बंगाल की बालीगंज सीट से विधायक का उपचुना जीत चुके हैं. इसके बावजूद वे नतीजे घोषित होने के 2 हफ्ते बाद भी पद की शपथ नहीं ले सके हैं. अब उनकी शपथ में फिर एक नई अड़चन आ गई है. 

डिप्टी स्पीकर ने शपथ दिलाने से किया इनकार

दरअसल राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) को शपथ दिलवाने के लिए पश्चिम बंगाल असेंबली के डिप्टी स्पीकर आशीष बनर्जी को अधिकृत किया था. लेकिन आशीष बनर्जी ने अब बाबुल सुप्रियो को शपथ दिलाने से इनकार कर दिया है. बनर्जी ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल असेंबली के स्पीकर के मौजूद रहते अगर मैं डिप्टी स्पीकर के रूप में बाबुल को शपथ दिलाता हूं तो यह उनके लिए अपमान होगा. मैं शपथ दिलाने में असमर्थता जताते हुए राज्यपाल को एक पत्र भेजूंगा.’

बाबुल सुप्रियो ने जताई गवर्नर के फैसले पर नाराजगी

अपनी शपथ लटकने से परेशान बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया है. बाबुल सुप्रियो ने कहा, ‘बेशक, यह राज्यपाल का विशेषाधिकार है. लेकिन अगर विधानसभा अध्यक्ष ने शपथ नहीं दिलाई तो मेरे दिमाग में एक अड़चन बनी रहेगी.’बता दें कि  राज्य विधानसभा में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने के लिए एक फाइल राज्यपाल को भेजी गई थी. लेकिन राज्यपाल ने इस फाइल को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. बाद में उन्होंने इस फाइल को मंजूरी तो दे दी लेकिन बाबुल को शपथ दिलाने का अधिकार स्पीकर बिमान बनर्जी के बजाय डिप्टी स्पीकर आशीष बनर्जी को दे दिया. 

16 अप्रैल को आया था उपचुनाव का रिजल्ट

यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) की बालीगंज सीट पर 12 अप्रैल को उपचुनाव हुआ था. जिसका रिजल्ट 16 अप्रैल को घोषित कर दिया गया. इस चुनाव में बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) टीएमसी के टिकट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे. बाबुल सुप्रियो बंगाल की आसनसोल सीट से 2 बार सांसद रहे और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. 

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बीजेपी छोड़कर पिछले साल टीएमसी में हुए थे शामिल

वे 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और आसनसोल के सांसद पद से इस्तीफा दे दिया. तृणमूल ने उन्हें बालीगंज से उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया था. वह सीट पूर्व विधायक और राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी के आकस्मिक निधन के बाद खाली हो गई थी, जिस पर उपचुनाव करवाना जरूरी था.

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By attkley

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