Indian American Muslim Council: वैसे तो घूस शब्द से आप परिचित होंगे जिसमे अपना काम करवाने के एवज में किसी व्यक्ति को पैसे दिए जाते हैं लेकिन अब भारत का नाम अंतराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने वाली संस्थाएं इसी कथित घूस को अनुदान के रूप में पत्रकारों को देने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने भारत मे अल्पसंख्यकों और दलितों पर कथित अत्याचार वाली स्टोरी सशर्त लिखने पर 1 लाख 22 हज़ार रुपये देने का विज्ञापन तक दे दिया गया. शर्त यह रखी गई कि पत्रकार भारत में अल्पसंख्यकों और दलितों पर हो रहे अत्याचार पर क्या story करेगा, इसका एक Proposal उसे इस संस्था को भेजना होगा. फिर अगर संस्था को प्रपोजल ठीक लगा तो वो अनुदान के आधे पैसे यानी लगभग 61 हज़ार रुपये पत्रकार को देगी. 

फर्जी खबर छापने पर बड़ा इनाम

यानी पत्रकार को पहले इस संस्था के सामने अपना story idea पिच करना होगा. फिर ये संस्था तय करेगी कि Idea ठीक है या उसमें कुछ बदलाव चाहिए. दूसरी शर्त है कि बाकी के पैसे यानी और 61 हज़ार रुपये पत्रकार को तब मिलेंगे जब खबर भारत के किसी बड़े मीडिया हाउस में छप जाएगी. गाइडलाइन में लिखा हुआ है कि संस्था को पत्रकार जो भारत मे अल्पसंख्यकों या फिर दलितों पर हो रहे कथित अत्याचार का आईडिया पिच करेगा, वो साथ मे अपने संपादक का पत्र भी लगाएगा जिसमें संपादक story के पूरी होने के बाद उसे छापने पर सहमति प्रदान करेंगे. यानी पूरे खेल में केवल पत्रकार ही नहीं बल्कि संपादक भी शामिल रहेंगे. जिससे संस्था की पसन्द वाली Story के छपने की गारंटी 100 प्रतिशत हो जाएगी.

इस पूरे अनुदान कार्यक्रम पर सवाल दो वजहों से उठ रहे हैं. पहली और सबसे बड़ी वजह है भारत में दलितों और मुस्लिमो पर हो रहे कथित अत्याचार पर खबर लिखने के एवज में अनुदान देने वाली संस्था है इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC). Indian American Muslim Council नाम की स्थापना गुजरात के गोधरा में फरवरी-मार्च 2002 में हुए दंगों के जवाब में अगस्त 2002 को की गई थी. यह संस्था पूरे अमेरिका में वर्ष 2005 तक नरेंद्र मोदी के खिलाफ के प्रोपोगंडा फैलाती रही और नरेंद्र मोदी को अमेरिका के वीजा पर रोक की मांग बढ़ चढ़ कर करती रही.

अमेरिका से काम कर रही ये मुस्लिम संस्था

वहीं नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह संस्था अमेरिकी सरकार से कई बार भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की अपील कर चुकी है. अपील करने के साथ ही इस संस्था पर आरोप है कि इसने FGR नाम की एक अमेरिकी लॉबी फर्म और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक- मानवाधिकार पर नजर रखने वाली अमेरिकी संस्था USCIRF को भारत के खिलाफ लॉबिंग करने के लिए  वर्ष 2013 और 2014 में कुल मिलाकर 40 हज़ार डॉलर यानी 32 लाख से ज्यादा रुपये  दिए थे.

आरोप है कि वर्ष 2018-19 में IAMC के संस्थापक शेख उबैद ने अपनी दूसरी संस्था बर्मा टास्क फोर्स की तर से लॉबी फर्म FGR को 2 लाख 67 हज़ार डॉलर यानी 2 करोड़ से ज्यादा रुपये दिए. इन पैसों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ अमेरिका की संसद में लॉबिंग करने के लिए किया गया. 

बड़े आतंकी संगठनों से भी हैं लिंक

IAMC पर भारत विरोधी आतंकी संगठनों से भी सांठगांठ करने और संबंधित होने के आरोप लग चुके हैं. रिसर्च फर्म disinfo ने अपनी 2021 की रिपोर्ट में पाया था कि IAMC के संबंध न सिर्फ सिमी जैसे आंतकी संगठन से हैं बल्कि इस संस्था के संबंध लश्कर ए तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन तक से हैं. Disinfo ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि Indian American Muslim Council के संस्थापक शेख उबैद  90 के दशक में Islamic Circle of North America (ICNA) का महासचिव था. ICNA पर आरोप है कि वो लश्कर ए तैयबा से लेकर हिजबुल मुजाहिदीन और जमात ए इस्लामी को पैसे देती थी और अमेरिका में उनके कार्यक्रम करवाती थी. भारत सरकार के पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी इसी साल जनवरी में इस संस्था पर आरोप लगाया था कि इसके संबंध ISI के साथ हैं.

आरोपों से हट कर सबूतों पर जाएं तो इस संस्था की official वेबसाइट पर भारत को बदनाम करने वाले प्रोपेगंडा की भरमार है.  होम पेज पर ही लिखा है ‘India Genocide News’यानी भारत मे नरसंहार की खबरें, जिसमें PFI जैसी दंगाई गतिविधियों में लिप्त संस्था पर भारत सरकार के प्रतिबन्ध को यह संस्था India Genocide News यानी भारतीय नरसंहार की खबर मानती है. साथ ही PFI के सदस्यों की गिरफ्तारी को यह संस्था भारत मे मुस्लिमों का दमन बता कर पेश कर रही है. वेबसाइट पर एक पूरा Column ही India Genocide News नाम से है, जिसमे भारत मे मुसलमानों के दमन का फर्जी प्रोपेगंडा फैलाया जा रहा है.

फर्जी ट्वीट कर भारत में भड़काती है दंगे

Indian American Muslim Council नाम की इस संस्था पर पिछले साल त्रिपुरा सरकार ने धार्मिक भावनाएं और फर्जी खबरें फैला कर दंगा भड़काने के आरोप में UAPA के तहत कार्यवाई तक की थी. असल मे उस समय इस संस्था ने पुराने वीडियो से लेकर अफगानिस्तान तक के कई फेक वीडियो त्रिपुरा के बताते हुए ट्वीट और शेयर किए थे. उन वीडियो के साथ यह दावा किया गया था कि त्रिपुरा में हजारों हिन्दुओं की भीड़ मुसलमानों के घरों और मस्जिदों को तोड़ रही है. इसके बाद त्रिपुरा पुलिस ने वीडियो का खंडन किया तो इस संस्थान ने चुपचाप अपने सारे फर्जी ट्वीट डिलीट कर लिए. लेकिन इस संस्था के फर्जी वीडियो की वजह से तब तक त्रिपुरा में माहौल और खराब हो चुका था.

सिर्फ त्रिपुरा ही नहीं वर्ष 2020 में राजधानी दिल्ली में हुए दंगो में भी इस संस्था ने फेक न्यूज़ फैलाने में कसर नही छोड़ी और गलत जानकारी के साथ ट्वीट किया कि दिल्ली के दंगों में 53 मुस्लिमो की हिंदुत्व भीड़ ने जान ले ली थी. जबकि सच यह था कि दंगो में मरने वाले 53 लोगो में से 16 हिन्दू थे, जिसमें IB के अधिकारी अंकित शर्मा और दिलबर नेगी जैसे लोग भी शामिल थे. लेकिन फेक न्यूज़ की फैक्टिरी चलाने वाली इस संस्था ने मरने वाले सभी लोगों को मुस्लिम घोषित कर दिया और कातिल हिंदुत्व भीड़ को बता दिया था. इस फेक न्यूज का पर्दाफाश होने के 48 घण्टे के बाद IAMC ने अपने प्रोपेगंडा में करेक्शन किया और सही जानकारी ट्वीट की. 

यू-ट्यूब न्यूज चैनलों पर चला रही एजेंडा

एक अंग्रेजी अखबार में 18 वर्ष तक काम करने वाले पत्रकार नीरज सक्सेना के मुताबिक इस संस्था की पहली शर्त पर ही सवाल इस लिए उठ रहा है क्योंकि भारत समेत पूरी दुनिया मे पत्रकारिता की एक परम्परा है कि Reporter सिर्फ अपने सम्पादक या फिर मैनेजर को ही अपना story idea और सोर्स बताता है. किसी अनुदान देने वाली संस्था या फिर किसी अन्य व्यक्ति को नही. भारत सरकार बीते कुछ माहीनो से सैकड़ों फर्जी यूट्यूब एकाउंट्स को बैन कर चुकी है, जो खुद को मीडिया चैनल बता कर यूट्यूब पर फर्जी खबर चलाते थे. 

आज जरूरत है कि भारत में अखबारों और न्यूज़ चैनलों के साथ साथ डिजिटल स्पेस में समाचार चैनल और कथित पत्रकार होने का दावा करने वालों पर भी नकेल कसी जाए. असल में आज के समय में कई डिजिटल वेबसाइट्स सिर्फ एजेंडा के तहत काम कर रही हैं और IAMC जैसी संस्थाओं की कठपुतली बनी हुई हैं.

दुनिया में भारत की छवि खराब करने की कोशिश

विदेशी मामलों के जानकार रोबिंदर सचदेव के मुताबिक IAMC जैसी संस्था जो पिछले 2 दशकों से अमेरिका में भारत विरोधी माहौल तैयार कर रही है, उसके लिए तो अनुदान वाली REPORTS वरदान साबित होंगी क्योंकि इन्ही रिपोर्ट्स को दिखा कर पूरे अमेरिका में प्रोपेगंडा फैलाया जाएगा कि भारत मे मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है, प्रतिबन्ध लगाओ.. ऐसी संस्थाएं अमेरिकी अखबारों को भी प्रेरित करेगी कि भारत मे अल्पसंख्यको को परेशान किया जा रहा है, इस पर रिपोर्ट बनाकर बड़ी अंतराष्ट्रीय मीडिया छापे. जिससे भारत का चौतरफा नुकसान हो और पाकिस्तान भारत को बदनाम करने के अपने मंसूबो में कामयाब हो जाए.

साइबर विशेषज्ञ अमित दुबे के मुताबिक आज समय INFORMATION WARFARE और हैशटैग ट्रेंड करवाने का है. IAMC जैसी संस्थाओं को यही सूट करता है. फ़र्ज़ी गलत जानकारी वाली वीडियो पूरे सोशल मीडिया पर फैला कर ना सिर्फ भारत में माहौल खराब कर रही हैं बल्कि जैसा पाकिस्तान चाहता है, वैसा ही पूरे विश्व में भारत को बदनाम करने के काम में लगी हैं. आज जरूरत है कि इन भारत विरोधी संस्थओं और उससे जुड़े लोगों के एकाउंट्स और उन्हें भारत मे बैन करने की. फेक एकाउंट बना कर ये संस्थाएं भारत विरोधी ट्रेंड शुरू कर देती हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत और भारतीयों की छवि धूमिल होती है.

ज़ी न्यूज के सवाल पर IAMC ने साधी चुप्पी

1 लाख 22 हजार के इस कथित अनुदान  पर हमारी टीम ने IAMC से दो दिन पहले जवाब भी मांगा लेकिन IAMC की तरफ से हमे अब तक कोई भी जवाब नही दिया गया. ऐसे में अगर आपको आने वाले दिनों में कोई ऐसी खबर दिख जाए जिसमे भारत मे अल्पसंख्यको और दलितों पर कहा जाए कि वे भारत मे सुरक्षित नही है तो समझ जाईयेगा कि उसका अनुदान कहां से मिल रहा है.
 
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By attkley

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